प्राणों से है ज़्यादा प्यारा, देश महान हमारा। ऋषि-मुनियों का देश हमारा, सारे जग से न्यारा। हिमगिरी इसका मस्तक ऊँचा सागर पैर पखारे। नदियों का जल हरी-भरी, भूमि की माँग सँवारे। summary of this poem
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sorry I don't know too much sorry bye
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