प्रीणाति यः सुचरितैः पितरं स पुत्रा यद् भर्तुरेव हितमिच्छति तत कलंत्रम् । तन्मित्रमापादि सुखे च समक्रियं यत्, एतत् त्रथं जगति पुण्यकृतो लभन्ते ।। translate shalok in hindi
Answers
Explanation:
पात्रं न तापयति नैव मलं प्रसूते स्नेहं न संहरति नैव गुणान् क्षिणोति।
द्रव्यावसानसमये चलतां न धत्ते सत्पुत्र एष कुलसद्मनि कोऽपि दीपः।।
भावार्थ:
कुलवां के घर में जो पुत्र प्रकट हुआ वह एक अद्भुत दीपक के समान है। दिया जाता है तो वह बर्तन को गर्म करता है, लेकिन पुत्र परिवार को नहीं गर्म करता है; दीया तो जाल बनाता है, परन्तु पुत्र मैल नहीं हटाता; दीया तेल पीता है, परन्तु पुत्र प्रेम का नाश नहीं करता; दी गई गुणवत्ता (वाट) को कम करती है लेकिन बेटा गुणवत्ता को कम नहीं करता है; दी गई सामग्री कम होने पर समझा जाता है, लेकिन सामग्री कम होने पर पुत्र परिवार नहीं छोड़ता।
Answer:
कुलं च शीलं च वयश्च रुपम विद्यां च वित्तं च सनाथता च।
तान् गुणान् सप्त परीक्ष्य देया कन्या बुधैः शेषमचिन्तनीयम्।।
भावार्थ:
सात बातों को ध्यान में रखते हुए: परिवार, शील, आयु, रूप, शिक्षा, धन और दत्तक, एक बुद्धिमान व्यक्ति को अपनी बेटी का विवाह बिना कुछ सोचे-समझे करना चाहिए।