Hindi, asked by patilranjana550, 10 months ago

प्राणियों के प्रति दयाभाव रखना मानवता हैं। सवमत लिकिए​

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Answered by ACCIDENTALEXPERT
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Answer:

Explanation:

हमेंप्रत्येक जीव के प्रति प्रेम दया भाव रखना चाहिए। मानवता का यही धर्म है। प्राचीनकाल में भी देवी-देवता के साथ किसी किसी पशु पक्षी का संबंध होना पशु संरक्षण का प्रतीक है। हमें पालतू पशुओं के साथ लावारिस पशुओं का भी ध्यान रखना चाहिए।

यह बात एमबीसी राजकीय महिला महाविद्यालय में राष्ट्रीय सेवा योजना के तत्वावधान में पशु कल्याण विषयक विचार गोष्ठी में डॉ.हुकमाराम सुथार ने कही। कार्यक्रम में डॉ.मुकेश पचौरी ने कहा, पशुओं को गाड़ी में जोत कर क्षमता से अधिक भार ढोना, अपंग पशुओं को गलियों में आवारा छोड़ना, उन्हें पर्याप्त भोजन उपलब्ध नहीं कराने को क्रूरता बताया। उन्होंने जन सहयोग पशु कल्याण संस्थाओं के सहयोग से निराश्रित पशुओं के लिए आश्रयस्थल और पर्याप्त भोजन उपलब्ध कराने पर बल दिया। खेल अधिकारी देवाराम चौधरी ने चोटिल पशुओं को अस्पताल पहुंचाने, वाहन को सावधानी से चलाने सहित आश्रय स्थल, गोशालाओं को विकसित करने का आह्वान किया।

एनएसएस कार्यक्रम अधिकारी डॉ.मृणाली चौहान ने स्वयं सेविकाओं को पशुओं पर दया एवं क्रूरता निवारण का संदेश दिया। पशु हित में पॉलीथिन का प्रयोग करने की बात कही। कार्यक्रम में हरीश खत्री, पोकराराम, दिनेश आदि मौजूद थे।

Answered by khushidas93
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Answer:

जानवरों के प्रति संवेदनशील धरती का प्राकृतिक संतुलन बनाए रखने में पशु-पक्षियों की भूमिका महत्वपूर्ण है । उनको भी धरती पर रहने का उतना ही हक है जितना मनुष्य जाति को । बेशक पशु-पक्षी मानव की तरह बोल नहीं सकते हैं किन्तु मनुष्य जाति से ज्यादा समझदार होते हैं । उनमें भी मानव की तरह दर्द, भावनाएं, प्यार होता है । पशु भी खुश एवं दु:खी होते हैं । पशु भी प्रत्येक बात समझते एवं महसूस करते हैं । वो किसी को क्षति तभी पहुंचाते हैं जब वो उससे जोखिम महसूस करते हैं । यदि हम उनको प्यार देंगे तो वो भी दुलार करते हैं । पशु-पक्षी मानव से भी अधिक वफादार होते हैं ।
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