Hindi, asked by dev90013067, 22 days ago

“प्राणस्य श्रेष्ठत्वम" में शरीर में कौन श्रेष्ठ है और क्यों ?
(100 शब्दों में लिखिए)​

Answers

Answered by shishir303
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¿ “प्राणस्य श्रेष्ठत्वम" में शरीर में कौन श्रेष्ठ है और क्यों ?

✎... शरीर में वह श्रेष्ठ है जिसके रहने से शरीर का अस्तित्व है इसलिये शरीर में प्राण श्रेष्ठ हैं, क्योंकि प्राण के रहने से ही शरीर का अस्तित्व बना रहता है, यदि प्राण न होंगे तो शरीर में उपस्थित अन्य किसी तत्व का कोई महत्व नही।

“प्राणस्य श्रेष्ठत्वम" पाठ के आधार पर कहें तो शरीर में कर्मेन्द्रियों में उदर यानि पेट श्रेष्ठ है, और ज्ञानेन्द्रियों में प्राण श्रेष्ठ हैं।

शरीर में कर्मेंद्रियों में उदर यानि पेट थे इसलिए श्रेष्ठ है, क्योंकि शरीर की अन्य कर्मेंद्रियां हाथ, पैर, मुँह यदि काम करना छोड़ दें तो भी शरीर जीवित बना रहेगा, लेकिन यदि उदर अपना कार्य छोड़ दे तो अन्न का पाचन नहीं होगा और शरीर को ऊर्जा नहीं मिलेगी। जिससे हाथ, पैर, मुँह आदि सब कमजोर हो जाएंगे और काम करना बंद कर देंगे, इसलिए कर्मेन्द्रियों में पेट का महत्व है।

ज्ञानेंद्रियों में प्राण तत्व का महत्व है। आँख, नाक, कान जीभ आदि यदि काम करना बंद कर दें तो भी मनुष्य जीवित बना रह सकता है, जैसे अंधे जीवित रहते हैं, गूंगे जीवित रहते हैं, बहरे जीवित रहते हैं।  परंतु यदि शरीर से प्राण ही निकल जाए तो शरीर का अस्तित्व ही समाप्त हो जाएगा फिर आँख, नाक, कान, जीभ का कोई महत्व नही रह जाता। इसलिये प्राण ही सर्वश्रेष्ठ हैं।

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