Science, asked by rajputrajput47284, 1 month ago

प्र. प्रभाजी आसवन विधि का प्रयोग पृथक करने के लिए किया जाता है-
आजब दो या दो से अधिक घुलनशील द्रवों के क्वथनांक का अंतर 25k से अधिक होता है।
ब) जब दो या दो से अधिक घुलनशील द्रवों के क्वथनांक का अंतर 25k से कम होता है।
द) दो गैसों के मिश्रण को पृथक करने के लिए।
स) जब दो या दो से अधिक घुलनशील द्रवों के क्वथनांक का अंतर 50k से अधिक होता है।​

Answers

Answered by kamleshpatiyal63
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answer b

Explanation:

I hop answer your help

Answered by Shazia055
0

(There is some error in the question. It should be \[25^\circ C\] and \[50^\circ C\] instead of 25k and 50 k respectively.)

प्रभाजी आसवन विधि का प्रयोग पृथक करने के लिए किया जाता है - ब) जब दो या दो से अधिक घुलनशील द्रवों के क्वथनांक का अंतर \[25^\circ C\] से कम होता है।

Explanation:

  • घुलनशील द्रवों को द्रवों के मिश्रण से अलग करने के लिए प्रभाजी आसवन विधि का उपयोग किया जाता है।
  • इसका उपयोग 25 डिग्री सेल्सियस से कम के क्वथनांक अंतर वाले घुलनशील द्रवों को अलग करने के लिए किया जाता है।
  • सरल और प्रभाजी आसवन विधियों के बीच उपकरण में एकमात्र अंतर प्रभाजी आसवन के दौरान उपयोग किए जाने वाले प्रभाजी स्तंभ है।
  • इस विधि में मिश्रण में मौजूद विभिन्न तरल पदार्थों को अलग-अलग तापमान पर आसुत किया जाता है।
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