प्र.प्रत्ययान् संयुज्य यथानिर्दिष्टं लिखत -
i) पठ् + शतृ (पुं.)......
ii) लिख् + शतृ (स्त्री.)
iii) सेव् + शानच् (स्त्री.)
iv)सह् + शानच् (पुं.).........
v) वृत् + शानच् (पुं.).......
vi) हस् + शतृ (स्त्री.) ..
Answers
प्रत्ययान् संयुज्य
(i) पठ् + शतृ (पुं.) ⇒ पठन्
(ii) लिख् + शतृ (स्त्री.) ⇒ लिखन्ती
(iii) सेव् + शानच् (स्त्री.) ⇒ सेवमाना
(iv) सह् + शानच् (पुं.) ⇒ सहमाना
(v) वृत् + शानच् (पुं.) ⇒ वर्तमान:
(vi) हस् + शतृ (स्त्री.) ⇒ हसन्ती
प्रत्ययान् संयुज्य यथानिर्दिष्टं लिखत -
i) पठ् + शतृ (पुं.) → पठन्
ii) लिख् + शतृ (स्त्री.) → लिखन्ती
iii) सेव् + शानच् (स्त्री.) → सेवमाना
iv) सह् + शानच् (पुं.) → सहमान:
v) वृत् + शानच् (पुं.) → वर्तमान:
vi) हस् + शतृ (स्त्री.) → हसन्ती
कुछ अतिरिक्त जानकारी :
•प्रत्यय : शब्दों के अर्थों में परिवर्तन अथवा कुछ विशेषता लाने के लिए उनके परे जो वर्ण या शब्दांश जोड़े जाते हैं उन्हें प्रत्यय कहते हैं।
• संस्कृत में इनका विभाजन पांच भागों में किया गया है।
तिड् प्रत्यय , सुप् प्रत्यय , कृत् प्रत्यय, तद्धित प्रत्यय , स्त्री प्रत्यय ।
•कृत् प्रत्यय : कृत् प्रत्यय केवल धातु से ही जोड़े जाते हैं। इन प्रत्ययों को जोड़ने से जो शब्द बनता है उसे कृदन्त कहते हैं।
•कृदन्त प्रत्यय निम्न प्रकार के होते हैं :
क्त्वा , तुमुन् , ल्यप् ।
इस पाठ से संबंधित कुछ और प्रश्न :
अधोलिखितानि पदानि भिन्न-भिन्नप्रत्ययान्तानि सन्ति। तानि पृथक् कृत्वा निर्दिष्टानां
प्रत्ययानामधः लिखत-
परिश्रम्य, उपार्जितवान्, दापयितुम्, प्रस्थितः, द्रष्टुम्, विहाय, पृष्टवान्, प्रविष्टः, आदाय, क्रोशितुम्,
नियुक्तः, नीतवान्, निर्णतुम्, आदिष्टवान्, समागत्य, मुदितः।
ल्यप् क्त क्तवतु तुमुन्
https://brainly.in/question/15083257
अ) उदाहरणमनुसृत्य अधोलिखितेषु पदेषु प्रयुक्त-प्रकृतिं प्रत्ययञ्च लिखत-
पदानि प्रकृतिः प्रत्ययः
यथा- आसनम् - आस् + ल्युट् प्रत्ययः
(क) युक्तम् - ........... + .................
(ख) भाजनम् -
(ग) शालीनता -
(घ) लालनीयः -
(ङ) छदत्वम् -
(च) सन्निहितः
(छ) सम्माननीया
https://brainly.in/question/15082382