पारंपरिक, घरेलू , उबाऊ और खामोश जिंदगी जीने में, आज के हिसाब से, क्रांतिकारी चाहे
कुछ न रहा हो दूसरे की तरह जीने के लिए मजबूर न होने में असली आज़ादी
कुछ ज्यादा ही थी।
इस वाक्य का अर्थ?
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पारंपरिक, घरेलू , उबाऊ और खामोश जिंदगी जीने में, आज के हिसाब से, क्रांतिकारी चाहे
कुछ न रहा हो दूसरे की तरह जीने के लिए मजबूर न होने में असली आज़ादी
कुछ ज्यादा ही थी।
इस वाक्य का अर्थ?
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