Hindi, asked by deonmenezes21, 3 months ago

प्र.२] परिणाम लिखिए :- (कोई दो)

१) अंतरिक्ष यान में चढ़ने का परिणाम
२) जीभ के चेतावनी देने का परिणाम

प्र.३] निम्नलिखित में से किसी भी एक विषय पर निबंध लिखिए:- (कोई एक)

१) विद्यार्थी जीवन
२) पेड़ की आत्मकथा​

Answers

Answered by poojadighliya
2

मैं एक पेड़ हूँ, मै भगवान द्वारा प्रकृति को दिया गया एक अनमोल उपहार हूँ | सा जगत में घटित होने वाली सभी प्राकृतिक घटनाओं का प्रमुख कारण हूँ | मैं इस दुनियां में रहने वाले सभी जीव-जंतुओं के जीवन का आधार हूँ | इस पृथ्वी पर सबसे पहले मेरा जन्म हुआ था |

अपने जन्म से पहले मैं पृथ्वी के भूगर्भ में एक बीज के रुप में सुप्तावस्था में पड़ा हुआ था | तब मैं पृथ्वी के भूगर्भ में उपस्थित जल एवं खनिज तत्वों से अपना पोषण करके अपना विकास किया | इस पृथ्वी के भूगर्भ से बाहर एक तनें के रुप में आया |

जब मैं छोटा था तब मुझे जानवर परेशान किया करते थे | बड़ी मुश्किल से मैं बच पाया हूँ | मैं अपने आस-पास के बड़े पेड़ों को देखकर यही सोंचता था की मैं कब इनकी तरह बड़ा पेड़ बन पाउँगा |

समय के साथ ही मेरा विकास होता गया और आज मैं बड़ा हो गया हूँ | मेरे शरीर का सभी हिस्सा मानव के लिए बहुत ही लाभदायक है |

पेड़ की कहानी

मुझे अब किसी भी जानवर क डर नहीं रहता है | बड़ा होने के कारण लोग मेरी टहनियों को नहीं तोड़ पाते हैं | शाखाएं हरी-हरी पत्तियों से ढँक गई हैं | इन पर फल और फूल लग चुके थे | आज मैं बहुत खुश हूँ क्योंकि मैं भी लोगों को लाभ पहुंचाता हूँ

मैं भी अन्य पेड़ों की तरह प्रकृति को हरियाली, और पक्षियों को उनक रहने के लिए घर और मानव ऑक्सीजन प्रदान करता हूँ और स्वंय कार्बन डाइऑक्साइड ग्रहण करता हूँ | मैं एक सड़क के किनारे पर रहता हूँ | सड़क चलते राही अक्सर मेरी छाया में लंबे समय तक बैठे रहत हैं |

मेरी छोटी-छोटी टहनियों और शाखाओं पर लगे हुए रंग-बिरंगी फूलों को तोड़कर मानव मेरे फूलों को तोड़कर भगवान के चरणों में अर्पित किये जाते हैं, जो की मुझे बहुत अच्छा लगता है | साथ ही मानव मेरे फूलों को तोड़कर घरों और मंदिरों को सजता है | यह देखकर मैं खुशी की अनुभूति करता हूँ |

सुबह की शुद्ध और ठंडी हवाएं, सूर्य की पहली किरण क साथ मेरी शाखाओं पर लगी पत्तियों को स्पर्श करती हैं |

पर्यावरण

पंक्षी इन पर आकर अपनी मधुर आवाज से इस वातावरण को मधुरिम बनाते हैं | हर साल वसंत ऋतू मन मैं अपनी शाखाओं पर लगे सभी पुरानी पत्तियों को निचे गिरा देता हूँ |

जो मिट्टी में मिल कर मिट्टी को उपजाऊ बनाती  हैं | मेरी शाखाओं पर लगे फल को खाकर मनुष्य अपना पोषण करके प्रसन्न हो उठता है |

इस संसार में शाकाहरी जानवर मेरी पत्तियों को खाकर अपना भरण पोषण करके अपना जीवन यापन करते हैं | मेरे सघन वनों को सभी जीव जंतुओं ने अपना बसेरा बना लिया है |

निष्कर्ष:

समय बीतने के साथ-साथ मानव ने अपना विकास किया | अब मानव हमारे महत्व को बिना सोंचे समझे ही अपने आवश्यकताओं की पूर्ति एवं अपना निवास स्थान बनाने के लिए हमारा विनाश कर रहा है |

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