प्रारंभिक भारतीय इतिहास की पुनर्रचना के लिए पुरातात्विक स्रोतों के महत्व का परीक्षण कीजिए
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पुरातात्विक स्त्रोत का सम्बन्ध प्राचीन अभिलेखों, सिक्कों, स्मारकों, भवनों, मूर्तियों तथा चित्रकला से है, यह साधन काफी विश्वसनीय हैं। इन स्त्रोतों की सहायता से प्राचीन काल की विभिन्न मानवीय गतिविधियों की काफी सटीक जानकारी मिलती है।
Answer:परिचय प्राचीन भारत के निवासियों ने अपने पीछे अनगिनत अवशेष छोड़े है प्रक्षिण भारत है में पत्थर के मंदिर और पूर्वी भारत में ईटो के विहार जो कि आज भी घरातल पर देखने को मिलते है और हमें अपने युग का स्मरण कराते है जब देश में भारी संख्या में भवनो का निर्माण हुआ इन भवनों के अधिकांश अवशेष सारे देश में बिखरा हुआ है जिसे टीलो के रूप में जाना जाता है टीले धरती की सतह पर उभरे हुए भाग को कहते है जिसके नीचे पुराने बस्तियों के अवशेष रहते है । खुदाई दो तरह से की जा सकती है अनुलंब या क्षैतिज।
भारत परिचय प्राचीन तिक अवशेष छोड़े, है के निवासियों ने अपने पीछे के अपने पीछे अनगिनत 2.छाड़ है। प्रक्षिण भारत है में पत्थर के मंदिर और पूर्वी भारत में ईंटा के विहार जो कि आज मा घरातल पर देखने को मिलते है और हमें अपने युग का स्मरण करते १ है जब देश में भारी संख्या में भवनो का निर्माण हुआ इन भवनों के अधिकांश अवशेष सारे देश में बिखरा हुआ है जिसे टीलो के रूप में जाना जाता है टीले धरती की सतह पर उभरे हुए भाग को कहते है जिसके नीचे पुराने बस्तियों के अवशेष रहते है टीले की खुदाई क्षैतिज या ज्ञातज । खुदाई दो तरह से की जा सकती है है अनुलंबभारत परिचय प्राचीन तिक अवशेष छोड़े, है के निवासियों ने अपने पीछे के अपने पीछे अनगिनत 2.छाड़ है। प्रक्षिण भारत है में पत्थर के मंदिर और पूर्वी भारत में ईंटा के विहार जो कि आज मा घरातल पर देखने को मिलते है और हमें अपने युग का स्मरण करते १ है जब देश में भारी संख्या में भवनो का निर्माण हुआ इन भवनों के अधिकांश अवशेष सारे देश में बिखरा हुआ है जिसे टीलो के रूप में जाना जाता है टीले धरती की सतह पर उभरे हुए भाग को कहते है जिसके नीचे पुराने बस्तियों के अवशेष रहते है टीले की खुदाई क्षैतिज या ज्ञातज । खुदाई दो तरह से की जा सकती है है अनुलंबभारत परिचय प्राचीन तिक अवशेष छोड़े, है के निवासियों ने अपने पीछे के अपने पीछे अनगिनत 2.छाड़ है। प्रक्षिण भारत है में पत्थर के मंदिर और पूर्वी भारत में ईंटा के विहार जो कि आज मा घरातल पर देखने को मिलते है और हमें अपने युग का स्मरण करते १ है जब देश में भारी संख्या में भवनो का निर्माण हुआ इन भवनों के अधिकांश अवशेष सारे देश में बिखरा हुआ है जिसे टीलो के रूप में जाना जाता है टीले धरती की सतह पर उभरे हुए भाग को कहते है जिसके नीचे पुराने बस्तियों के अवशेष रहते है टीले की खुदाई क्षैतिज या ज्ञातज । खुदाई दो तरह से की जा सकती है है अनुलंब
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