Hindi, asked by harib9767, 6 months ago

प्रारूप: 2
मृत्यु की समस्या मानव-अस्तित्व और मानव खोज की सबसे
प्रमुख
समस्या है जीवन-ज्ञान, संघर्ष और फैण्टेसी, इन सबके
मूल
में
मृत्यु की
भावना अथवा मृत्यु का खौफ काम करता रहता है। मानव अस्तित्व की
सीमारेखा इसी ने स्थापित की है। ज्ञान की निर्रथकता, आनन्द और रस की
एकरसता, मानव सम्बन्धों का अप्रत्यक्ष उपहास और अस्तित्व के प्रति गहरा
अविश्वास, इन सबके भीतर मृत्यु का खौफ काम करता रहा है। जीवन
और जोवन के मूल्यों के रूप में किसी अन्तिम वस्तु को इस सीमा के ऊपर
स्थापित करने और उपलब्ध करने की व्याकुलता ही चिन्तन प्रक्रिया को
जन्म देती रही है क्योंकि मृत्यु एक भंयकर अर्थहीनता को जन्म देती है।
सम्पूर्ण मानव चिन्तन और मानव अस्तित्व की निरर्षकता को संकेतित
करती है। अतः मृत्यु मानव चिन्तन का प्रमुख विषय है। मानव के अन-
वरत विद्रोह की गहरी प्रेरणा है। जिस 'रस' और 'अर्थ' की खोज में रचना-
कार व्याकुल है, जिसे उसने सहज रूप में कभी जाना है कि यही वह वस्तु
है जो समय की निरर्थकता और मानव अस्तित्व की निरर्थकता को काटती
है, उसी को जब मृत्यु के भयंकर उपहास में शुभ होते हुए वह देखता है तो
उसकी सच्चाई और उसकी स्थिति को वास्तविक रूप में जानने का प्रयल
करता है।​

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Answered by cuty52
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