Hindi, asked by ghydra537, 8 months ago

प्रारभ्यते न खलु विघ्नभयेन नीचैः, प्रारभ्य विघ्नविहता विरमन्ति मध्याः ।
विघ्नः पुनः पुनरपि प्रतिहन्यमानाः, प्रारभ्य चोत्तमजनाः न परित्यजन्ति।। १।।
आरम्भगुर्वी क्षयिणीक्रमण, लघ्वीपुरा वृद्धिमती च पश्चात् ।
दिनस्य पूर्वार्द्ध परार्द्धभिन्ना, छायैव मैत्री खलसज्जनानाम्।। २ ।।
यथा चतुर्भिः कनक परीक्ष्यते, निघर्षणच्छेदनतापताडनैः।
तथा चतुर्भिः पुरुषः परीक्ष्यते, त्यागेन शीलेन गुणेन कर्मणा।। ३।।
विपदि धैर्यमथाभ्युदये क्षमा, सदसिवाक्पटुता युधि विक्रमः
यशसि चाभिरुचिर्व्यसनं श्रुतौ, प्रकृतिसिद्धमिदं हि महात्मनाम्।। ४










ye shlok ka hindi meaning batao koi​

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Answered by avi86579
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१) सामान्य लोग विघ्नों के भय से कोई काम आरंभ नहीं करते। मध्यम लोग कार्य को आरंभ कर देते हैं पर विघ्न आने पर बीच में ही छोड़ देते हैं। अच्छे लोग कार्य आरंभ करने के बाद बार-बार विघ्नों के आने के बावजूद भी उसे नहीं छोड़ते हैं।

२)दुर्जनों की मित्रता दिन के पूर्वार्द्ध में रहने वाली छाया की तरह प्रारम्भ से अधिक और फिर धीरे-धीरे कम होती रहती है एवं सज्जनों की मित्रता दिन के उत्तरार्ध की छाया की तरह पहले कम और फिर उत्तरोत्तर बढ़ने वाली होती है।

३)जिस तरह सोने की परख घिसने से, तोडने से, गरम करने से और पिटने से होती है, वैसे हि मनष्य की परख विद्या, शील, गुण और कर्म से होती है ।

४)विपत्ति में धैर्य ,समृद्धि में क्षमाशीलता , सभा में वाक्पटु , युद्ध में पराक्रम ,यशस्वी ,वेद शास्त्रों का ज्ञाता ,ये छः गुण महापुरुषों में स्वाभाविक रूप से होते हैं ।

Answered by raoshrutiqueen
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first answer of the shlok it may help you thanks alot

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