Hindi, asked by sushama0308, 3 months ago

प्रेरणा दत
तमाम दोपहर-
मैं तुम्हारे किनारे घूमता रहा
बिना यह जाने कि तुम कहाँ से आयी हो
और किससे मिलने जा रही हो
तुम्हारी कितनी थाह है।
मुझे केवल वे लहरियाँ अच्छी लगती रहीं
जो तुममें उठती रहीं-
शप में दिलमिलातीं खिलखिलाती​

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Answered by rampalsaket123456
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Answer:

bhi pahle thanks kro tbhi answer dunga

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