पुरुरवा स्वयं की तुलना किससे करता है
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पुरुरवा स्वयं की तुलना विश्व को प्रकाशित करने वाले सूर्य से करते हुए कहता है कि वह मानव जीवन में छाए घोर अंधकार को दूर करने वाली प्रचण्ड अग्नि के समान है ...
PrinceJK786:
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पुरुरवा कहते है कि मेरा वक्षस्थल शिला के समान ढृढ़ है तथा मेरी भुजाएं चट्टानों के समान मजबूत है।
पुरुरवा अपने मस्तक की तुलना सूर्य से करते हुए कहते है की उनका मस्तक सूर्य के प्रकाश की तरह प्रकाशित हो रहा है और आलोकित हो रहा है।
वे अपने मन की तुलना सागर से करते हुए कहते है कि मेरा मन सागर के समान उछलती हुयी तरंगो के समान , जिसमे हमेशा ऊंची - ऊँची लहरे उठती रहती है। कहने का अर्थ यह है कि उनके मन की गहराई को मापना सरल नहीं है
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