प्रेस प्रबंधन की प्रक्रिया को स्पष्ट कीजिए
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एक संविघिक स्वायत्तशासी संगठन है जो प्रेस की स्वतंत्रता की रक्षा करने व उसे बनाए रखने, जन अभिरूचि का उच्च मानक सुनिश्चित करने से और नागरिकों के अघिकारों व दायित्वों के प्रति उचित भावना उत्पन्न करने का दायित्व निबाहता है। सर्वप्रथम इसकी स्थापना ४ जुलाई सन् १९६६ को हुई थी।
एक संविघिक स्वायत्तशासी संगठन है जो प्रेस की स्वतंत्रता की रक्षा करने व उसे बनाए रखने, जन अभिरूचि का उच्च मानक सुनिश्चित करने से और नागरिकों के अघिकारों व दायित्वों के प्रति उचित भावना उत्पन्न करने का दायित्व निबाहता है। सर्वप्रथम इसकी स्थापना ४ जुलाई सन् १९६६ को हुई थी।अध्यक्ष परिषद का प्रमुख होता है जिसे राज्यसभा के सभापति, लोकसभा अघ्यक्ष और प्रेस परिषद के सदस्यों में चुना गया एक व्यक्ति मिलकर नामजद करते हैं। परिषद के अघिकांश सदस्य पत्रकार बिरादरी से होते हैं लेकिन इनमें से तीन सदस्य विश्वविद्यालय अनुदान आयोग, बार कांउसिल ऑफ इंडिया और साहित्य अकादमी से जुड़े होते हैं तथा पांच सदस्य राज्यसभा व लोकसभा से नामजद किए जाते हैं - राज्य सभा से दो और लोकसभा से तीन।
एक संविघिक स्वायत्तशासी संगठन है जो प्रेस की स्वतंत्रता की रक्षा करने व उसे बनाए रखने, जन अभिरूचि का उच्च मानक सुनिश्चित करने से और नागरिकों के अघिकारों व दायित्वों के प्रति उचित भावना उत्पन्न करने का दायित्व निबाहता है। सर्वप्रथम इसकी स्थापना ४ जुलाई सन् १९६६ को हुई थी।अध्यक्ष परिषद का प्रमुख होता है जिसे राज्यसभा के सभापति, लोकसभा अघ्यक्ष और प्रेस परिषद के सदस्यों में चुना गया एक व्यक्ति मिलकर नामजद करते हैं। परिषद के अघिकांश सदस्य पत्रकार बिरादरी से होते हैं लेकिन इनमें से तीन सदस्य विश्वविद्यालय अनुदान आयोग, बार कांउसिल ऑफ इंडिया और साहित्य अकादमी से जुड़े होते हैं तथा पांच सदस्य राज्यसभा व लोकसभा से नामजद किए जाते हैं - राज्य सभा से दो और लोकसभा से तीन।प्रेस परिषद, प्रेस से प्राप्त या प्रेस के विरूद्ध प्राप्त शिकायतों पर विचार करती है। परिषद को सरकार सहित किसी समाचारपत्र, समाचार एजेंसी, सम्पादक या पत्रकार को चेतावनी दे सकती है या भर्त्सना कर सकती है या निंदा कर सकती है या किसी सम्पादक या पत्रकार के आचरण को गलत ठहरा सकती है। परिषद के निर्णय को किसी भी न्यायालय में चुनौती नहीं दी जा सकती।
एक संविघिक स्वायत्तशासी संगठन है जो प्रेस की स्वतंत्रता की रक्षा करने व उसे बनाए रखने, जन अभिरूचि का उच्च मानक सुनिश्चित करने से और नागरिकों के अघिकारों व दायित्वों के प्रति उचित भावना उत्पन्न करने का दायित्व निबाहता है। सर्वप्रथम इसकी स्थापना ४ जुलाई सन् १९६६ को हुई थी।अध्यक्ष परिषद का प्रमुख होता है जिसे राज्यसभा के सभापति, लोकसभा अघ्यक्ष और प्रेस परिषद के सदस्यों में चुना गया एक व्यक्ति मिलकर नामजद करते हैं। परिषद के अघिकांश सदस्य पत्रकार बिरादरी से होते हैं लेकिन इनमें से तीन सदस्य विश्वविद्यालय अनुदान आयोग, बार कांउसिल ऑफ इंडिया और साहित्य अकादमी से जुड़े होते हैं तथा पांच सदस्य राज्यसभा व लोकसभा से नामजद किए जाते हैं - राज्य सभा से दो और लोकसभा से तीन।प्रेस परिषद, प्रेस से प्राप्त या प्रेस के विरूद्ध प्राप्त शिकायतों पर विचार करती है। परिषद को सरकार सहित किसी समाचारपत्र, समाचार एजेंसी, सम्पादक या पत्रकार को चेतावनी दे सकती है या भर्त्सना कर सकती है या निंदा कर सकती है या किसी सम्पादक या पत्रकार के आचरण को गलत ठहरा सकती है। परिषद के निर्णय को किसी भी न्यायालय में चुनौती नहीं दी जा सकती।काफी मात्रा में सरकार से घन प्राप्त करने के बावजूद इस परिषद को काम करने की पूरी स्वतंत्रता है तथा इसके संविघिक दायित्वों के निर्वहन पर सरकार का किसी भी प्रकार का नियंत्रण नहीं है।
Answer:
भारतीय प्र स पर, संसद द्वारा गठत ए अध-न् ययक नकाय है जिसका गठन प्र स् तंत्रता के संर ण और भारत के समाचारपर व समाचार एजसय केर को बनाये रखने और उनम सुधार करने के उद्देश से कया गया है ।
Explanation:
षद् अपने उद्देश को अग्रसर करने के लए नम लखत कृत् य का
पालन कर सकेगी, अथार्त
- समाचारपत्र तथा समाचार एजसय कसतंत्रता बनाये रखने म उनक सहायता कर;
- समाचारपत्र, समाचार एजसय और पत्रकार केलए वृिवृत्तक स्र क एक आचार-संहता बनाना।
- यह सुनिश्चत करना क समाचारपत्र, समाचार एजसय और पत्रकार क ओलोक-रूच के उच् स् र बनाये रख जाय और नागरक केअ धकार और उत् रदायत् वदोन क सम् क भावना का पोषण करना;
- उन सब व् िक्तय म जो पत् रता क वृिवृत्त म लगे हुए ह, उत् रदायत् और लोकसेवा ऐक भावना प्रोत् हत करना।
- ऐसी कसी भी बात, जससे लोकहत और लोकमहत् के समाचार के प्रच-प्रसार प्रतबन संभावना हो, पर वचार करते रहना;
- सहायता केमामल का िजनकेअंतगर्त वे मामल भी जो कद्रय सरकार द्वारा उनदशत कए जाय, या कसी व् िक्त, व्िक्तय के संगम या कसी अन् संगठन द्वारा उसक जानकार म लाये जाय, का पुनवर्लोकन करते रहना
- वदेशी समाचारपत्र के, िजनके अंतगर्त कसी राजदूतावास द्वारा या भारवदेशी राज् के कसी प्रतनध द्वारा नकाल गयी पत्रकाय भी ह,यन का भार अपने ऊपर लेना, उनका परचालन और प्रभ।
- समाचारपत्र नकालने या उसके प्रकाशन म या समाचार एजसय म लगेिक्तय के
- सभी वग म उचत कृित्यक संबंध क अभवृ करना;परन् त इस खंड क कोई बात परषद् उन ववाद क बाबत कोई कृत् स�पने वालनह समझी जायेगी िजनपर औद्योगक ववाद अधनयम 1947 लागू है।