पार्श्विक व्यंजन है-
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पार्श्विक : जिन व्यंजनों के उच्चारण में जीभ तालु को छुए किन्तु पार्श्व (बगल) में से हवा निकल जाए, उन्हें पार्श्विक व्यंजन कहते हैं। दूसरे शब्दों में- जिनके उच्चारण में जिह्वा का अगला भाग मसूड़े को छूता है और वायु पाश्र्व आस पास से निकल जाती है, वे पार्श्विक कहलाते हैं। हिन्दी में केवल 'ल' व्यंजन पार्श्विक है।
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पार्श्विक
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पार्श्विक : जिन व्यंजनों के उच्चारण में जीभ तालु को छुए किन्तु बाजू में से हवा निकल जाए
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