पुरुष
की शक्ति पर निबंध
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नारी उस वृक्ष की भांति है जो विषम परिस्थितियों में भी तटस्थ रहते हुए राहगीरों को छाया प्रदान करता है, नारी की कोमलता एवं सहनशिलता को कई बार पुरुष ने उसकी निर्बलता मान लिया और इसलिए उसे अबला कहा किन्तु वो अबला नहीं है वो तो सबला है, पुरुष वर्ग शायद ये नहीं जानते की उसकी इसी कोमलता एवं सहनशीलता में ही मानव जीवन का अस्तित्व संभव है, क्या माँ के सिवाय संसार में ऐसी कोई हस्ती है जो उसी वात्सल्य और प्रेम से शिशु का लानन-पालन कर सके जैसे की माँ करती है, संसार में चेतना के अविर्भाव का श्रेय नारी को ही जाता है, इस में किंचित मात्रा भी संदेह नहीं है कि नारी ही वो शक्ति है जो समाज का पोषण से लेकर संवर्धन तक करती है।
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follow plz .nakajskaogwsodisei
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