पुरूष प्रधान समाज मे नारी का संघर्ष और उसकी सफलता
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ek mishal hai men ke liye.
नारी का स्थान समांनीय होना चाहिए उसके प्रति पुरुष प्रधान समाज को सम्मान की दृष्टि रखना चाहिए ,उसको पेर की जुती नहीं समझना चाहिए। आज पूरे विश्व में 8 मार्च का दिन महिला दिवस के रूप में मनाया जाता है जो कि स्त्रियों के नाम होता है ।नारी का धरती पर सबसे सम्मानीय रूप है मां का ,मां जिसे ईशवर से भी बढ़कर माना जाता है। उस सम्मान को कम नहीं होने देना चाहिए ।माना आज की संतान अपने मां को इतना महत्व नहीं देती जो कि गलत है।
आज की नारी घर के कामकाज के अलावा पढ़ लिख कर दोहरी जिम्मेदारी निभा रही है घर के कामकाज ओर नोकरी करना नारी के लिए दाएं हाथ का काम है। फिर पुरुष क्यों नहीं समझता कि जो नारी अपने घर अपन बच्चेे ओर अपने परिवार के लिए अपना पूरा जीवन दे देती है।तो उसका सम्मान करे ना की अपमान करके नारी को को और अपने आप को शर्मिंदा ना करे। छोटी बच्चियों जो कि देवी का रूप होती है । तो उसे उसी रूप में स्वीकारे। ना कि अपनी मानसिकता को गिरा कर ऐसे काम करे कि बाद में न्याय और माफी की कोई गुंजाइश ही ना बचे ऐसे गिरे हुए लोगो को अपनी मानसिकता बदलनी होगी।
आज कल ऐसी घटनाएं सुनने में आती है कि उस व्यक्ति के प्रति क्रोध और शर्म आती है । कि जिस देश मे नारी की पूजा की जाती है उसी देश मे ओर पूरी दुनिया मे ही नारी का अपमान किया जाता है।इसके प्रति सरकार को कड़ा कानून बनाना होगा जिससे ऐसा व्यक्ति कुछ करने से पहले ही डरे । इसलिए हर क्षेत्र और जाति समाज और धर्म मे नारी का सम्मान सर्वोच्च होना चाहिए। ओर नारी को किसी भी रूप में बस सम्मान की दृष्टि से देखें।