पुरुषार्थ किससे से भिन्न और श्रेष्ठ है
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लेखक का मानना है कि पुरुषार्थ का अर्थ-पशु चेष्टा से भिन्न एवं श्रेष्ठ है। उसके पुरुषार्थ से निर्धारित होता है। लेखक का मानना है कि पुरुष अपने भाग्य से तभी जुड़ता है, जब वह अपने अहं को त्याग देता है।
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