Business Studies, asked by karansinghrk7779, 8 months ago

पार्षद सीमानियम से आप क्या समझते हैं? पार्षद सीमानियम और पार्षद अन्तर्नियम में अन्तर बताइये।

Answers

Answered by ElegantSplendor
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Answer:

पार्षद सिमानियम कंपनी का एक ऐसा महत्वपूर्ण प्रलेख है जो कंपनी का समामेलन कराते समय अनिवार्य रूप से रजिस्ट्रार को प्रस्तुत करना पड़ता है इसके बिना किसी भी कम्पनी का समामेलन नही हो सकता अत्यंत महत्वपूर्ण होने के कारन इसे कंपनी का चार्टर अथवा विधान भी कहते है इसे स्मरति पत्र स्मरति ज्ञापन स्मारक पत्र अथवा ज्ञापन पत्र के नाम से भी पुकारते है इस प्रलेख में कंपनी के कार्य छेत्र उदेश्य पूंजी व दायित्वों एंव अधिकारों की सीमओं का उल्लेख होता है इसके बहार किया गया कोई भी कार्य व्यर्थ मन जाता है अत: इसे पर्याप्त सावधानी के साथ तैयार करना चाइये |

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Answered by Anonymous
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भारतीय कम्पनी अधिनियम, 1956 की धारा (28) के अनुसार- ‘‘पार्षद सीमानियम से आशय कम्पनी के उस पार्षद सीमानियम से होता है जो प्रारंभ में बनाया गया था या जिसे पूर्व के नियमों या इस अधिनियम के अनुसार समय-समय पर परिवर्तित किया गया हो। ‘‘

भारतीय कम्पनी अधिनियम, 1956 की धारा (28) के अनुसार- ‘‘पार्षद सीमानियम से आशय कम्पनी के उस पार्षद सीमानियम से होता है जो प्रारंभ में बनाया गया था या जिसे पूर्व के नियमों या इस अधिनियम के अनुसार समय-समय पर परिवर्तित किया गया हो। ‘‘लार्ड क्रेन्स के शब्दों में- ‘‘पार्षद सीमानियम किसी कम्पनी का चार्टर होता है और यह अधिनियम के अंतर्गत स्थापित कम्पनी के अधिकारों की सीमाओं को परिभाषित करता है।’’

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