Business Studies, asked by hsharman9835, 11 months ago

पार्षद सीमानियम व अन्तर्नियम में चार अन्तर बतलाइए।

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Answered by ElegantSplendor
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Answer:

पार्षद सिमानियम कंपनी का एक ऐसा महत्वपूर्ण प्रलेख है जो कंपनी का समामेलन कराते समय अनिवार्य रूप से रजिस्ट्रार को प्रस्तुत करना पड़ता है इसके बिना किसी भी कम्पनी का समामेलन नही हो सकता अत्यंत महत्वपूर्ण होने के कारन इसे कंपनी का चार्टर अथवा विधान भी कहते है इसे स्मरति पत्र स्मरति ज्ञापन स्मारक पत्र अथवा ज्ञापन पत्र के नाम से भी पुकारते है इस प्रलेख में कंपनी के कार्य छेत्र उदेश्य पूंजी व दायित्वों एंव अधिकारों की सीमओं का उल्लेख होता है इसके बहार किया गया कोई भी कार्य व्यर्थ मन जाता है अत: इसे पर्याप्त सावधानी के साथ तैयार करना चाइये |

Answered by Anonymous
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कंपनी का पार्षद सीमानियम कंपनी के कार्यक्रम व उदृदेश्यों को निर्धारित

कंपनी का पार्षद सीमानियम कंपनी के कार्यक्रम व उदृदेश्यों को निर्धारितकरता है, परंतु इन उद्देश्यों की पूर्ति किन नियमों के अधीन की जायेगी, इसका

कंपनी का पार्षद सीमानियम कंपनी के कार्यक्रम व उदृदेश्यों को निर्धारितकरता है, परंतु इन उद्देश्यों की पूर्ति किन नियमों के अधीन की जायेगी, इसकानिर्धारण पार्षद अंतर्नियम द्वारा किया जाता है। यह कंपनी का दूसरा महत्वपूर्ण

कंपनी का पार्षद सीमानियम कंपनी के कार्यक्रम व उदृदेश्यों को निर्धारितकरता है, परंतु इन उद्देश्यों की पूर्ति किन नियमों के अधीन की जायेगी, इसकानिर्धारण पार्षद अंतर्नियम द्वारा किया जाता है। यह कंपनी का दूसरा महत्वपूर्णप्रलेख होता है। इसमें कंपनी के विभिन्न पक्षकारों, जैसे- अंशधारियों एवं

कंपनी का पार्षद सीमानियम कंपनी के कार्यक्रम व उदृदेश्यों को निर्धारितकरता है, परंतु इन उद्देश्यों की पूर्ति किन नियमों के अधीन की जायेगी, इसकानिर्धारण पार्षद अंतर्नियम द्वारा किया जाता है। यह कंपनी का दूसरा महत्वपूर्णप्रलेख होता है। इसमें कंपनी के विभिन्न पक्षकारों, जैसे- अंशधारियों एवंऋणपत्रधारियों के अधिकार, कर्तव्य, अंशो का निर्गमन, हस्तांतरण आदि से

कंपनी का पार्षद सीमानियम कंपनी के कार्यक्रम व उदृदेश्यों को निर्धारितकरता है, परंतु इन उद्देश्यों की पूर्ति किन नियमों के अधीन की जायेगी, इसकानिर्धारण पार्षद अंतर्नियम द्वारा किया जाता है। यह कंपनी का दूसरा महत्वपूर्णप्रलेख होता है। इसमें कंपनी के विभिन्न पक्षकारों, जैसे- अंशधारियों एवंऋणपत्रधारियों के अधिकार, कर्तव्य, अंशो का निर्गमन, हस्तांतरण आदि सेसंबंधित नियम एवं उपनियम शामिल होते है।

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