प्रोटोजोआ के चार प्रमुख समूहों का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
Answers
प्रोटोजोआ के मुख्य चार समूह निम्न है-
(a) अमीबीय प्रोटोजोआ
(b) कशाभी प्रोटोजोआ
(c) पक्षमाभी प्रोटोजोआ
(d) स्पोरोजोआ प्रोटोजोआ
(a) अमीबीय प्रोटोजोआ -
आवास - स्वच्छ जलीय / समुद्री तथा नम मृदा में भी।
कुछ अमीबाओं, जो समुद्री अमीबा नाम द्वारा जाने जाते है, उनमें एक कवच पाया जाता है जो सिलिका बना होता हैै।
चलन व पोषण हेतु कूटपाद का उपयोग करते है।
(b) कशाभी प्रोटोजोआ -
स्वतंत्र तथा कभी-कभी परजीवी भी।
कक्षाभ चलन व पोषण में उपयोगी ।
शरीर पर दृढ़ पेलिकल आवरण का बना होता है।
(c) पक्षमाभी प्रोटोजोआ -
जलीय, अत्याधिक पक्षमाभ युक्त।
स्थायी कोशिकामुख उपस्थित।
(d)स्पोरोजोआ प्रोटोजोआ -
अंत परजीवी, प्रचलअंगो का अभाव।
पेलिकल का आवरण उपस्थित।
उत्तर- सभी प्रोटोजोआ परपोषी होते हैं। जो परभक्षी अथवा परजीवी के रूप में रहते हैं। ये प्राणियों के पुरातन सम्बन्धी हैं। प्रोटोजोआ को चार प्रमुख समूहों में बाँटा जा सकता है।
अमीबीय प्रोटोजोआ ये जीवधारी स्वच्छ जल, समुद्री जल तथा नम मृदा में पाए जाते हैं। ये अपने कूटपादों की सहायता से अपने शिकार को पकड़ते हैं। इनके समुद्री प्रकारों की सतह पर सिलिका के कवच होते हैं। इनमें से कुछ जैसे एटअमीबा परजीवी होते हैं।
कशाभी प्रोटोजोआ: इस समूह के सदस्य स्वच्छंद अथवा परजीवी होते हैं, इनके शरीर पर कशाभ पाया जाता है। परजीवी कशाभी प्रोटोजोआ बीमारी के कारण हैं, जिनसे निद्रालु व्याधि बीमारी होती है। उदाहरणः ट्रिपैनोसोमा ।
पक्ष्माभी प्रोटोजोआ: ये जलीय तथा अत्यंत सक्रिय गति करने वाले जीवधरी हैं, क्योंकि इनके शरीर पर हजारों की संख्या में पक्ष्माभ पाए जाते हैं। इनमें एक गुहा(ग्रसिका)होती है जो कोशिका की सतह के बाहर की तरपफ खुलती है। पक्ष्माभों की लयबद्ध गति के कारण जल से पूरित भोजन गलेट की तरफ भेज दिया जाता है। उदाहरण-पैरामीशियम।
स्पोरोजोआ: इस समूह में वे विविध् जीवधरी आते हैं जिनके जीवन चक्र में संक्रमण करने योग्य बीजाणु जैसी अवस्था पाई जाती है। इसमें सबसे कुख्यात प्लाज्मोडियम (मलेरिया परजीवी) प्रजाति है, जिसके कारण मानव की जनसंख्या पर आघात पहुँचाने वाला प्रभाव पड़ा है।