प्रातः कालीन भ्रमण के लाभ बताते हुए अपनी छोटी बहन की पत्र लिखिए
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पता शहर का नाम
भाई का नाम
पता
प्रिय भाई,
आशा करता हूँ कि तुम कुशल मंगल हो | आजकल तबीयत कैसी है | बहन और माँ कह रहे थे कि तुम आजकल बहुत व्यस्त रहते हो अपने काम में | और रात को भी देर से काम से लौट थे हो | यह ज्यादा ठीक नहीं है | अपनी तंदुरुस्ती की ख़याल रखना चाहिए तुम्हें |
तुम सुबह जल्दी जागकर पैदल सैर करने जाओ| बहुत अच्छा है| तुम अपना दिन भी जल्दी शुरू कर सकते हो और रत को जल्दी काम लिपटा सकते हो| सुबह की सैर करने से बदन में नयी ताकत आजाती है| शुद्ध हवा में साँस लेने से दिमाग भी तेज चलेगा| कोई श्वसन सम्बन्धी रोग भी छू न सकेंगे| थोडा देर सैर और थोडा योगा|
आजकल नगरों में हवा की शुद्धता कम होती जारही है| तो सुबह सैर से भलाई होगी जरूर | तुम्हारा मन भी बहला सकोगे | कल से शुरू करो और नहीं भूलना या टालना |
प्यार से आशीर्वाद देते हुए तेरा प्रिय भाई
केविन
@skb
प्रात:कालीन नदी तट भ्रमणहम उन दिनों दादाजी के घर गए हुए थे। उनके घर से लगभग दो किलोमीटर दूर गढ़गंगा थी। उस दिन हम सबसुबह-सुबह उठकर पैदल भ्रमण के लिए चल दिए। शीतल हवा के झोंको ने हम में स्फूर्ति भर दी थी। अभीतक पक्षी भी अपने घोंसलों से नहीं निकले थे। मार्ग के दोनों ओर उगे जंगली पौधों और घास पर ओस कचादर बिछी हुई थी। इस प्राकृतिक शोभा का आनंद लेते हुए हम नदी तट पर पहुँच। नदी का जल बिलकुलशांत था। रेल तट से कुछ दूरी पर पेड़ों की पंक्तियाँ बहुत सुंदर लग रही थीं। आकाश से सूरज की कुछकिरणों ने प्रकाश फैलाना आरंभ किया। चारों ओर एक पवित्र शांति का माहौल था। अब कभी कभी कोई पअपनी मधुर आवाज़ में मानो तो उठता था। नदी तट के इस सुंदर दृश्य को निहारते हमारा परिवार काफ़ी देरतक घूमता रहा। तन-मन में अद्भुत नवीन स्फूर्ति का संचार हो गया और घर लौटने के बाद भी वह प्राकृतिकआभा मन-मस्तिष्क पर छाई रही।