प्रात:काल सूर्योर्दर्य से पूर्व शय्र्या त्र्यागकर खलु ी हर्ा में भ्रमण करिे से शरीर का अगं अगं
खलु ता है। इस समर्य उपर्ि, र्ि, खेत र्या िर्दी तट की सैर मि को अपार आिंर्द प्रर्दाि करती
है। शीतल ताजी हर्ा के शरीर में प्रर्ेश करिे र्ाली ऑक्सीजि सााँसों को ताजगी र्देती है।
प्रात:काल सूर्यव की सुिहरी ककरणें मािो स्र्गीर्य संर्देश लेकर धरती पर आती हैं। उिसे समस्त
सष्ृटट मेंिई चते िा का संचार होता है। इस समर्य र्ि-उपर्ि में पुटप वर्कससत होतेहैं, तडागों
में कमल मुसकाते हैं, पेडों पर पक्षी चहचहाते हैं। धीमी-धीमी, शीतल, सुगंधमर्य पर्ि के झोंके
हृर्दर्य में हहलोर उठाते हैं। ऐसी मोहक प्रकृनत से र्दरू सोए रहिे र्ाले अभागे हैं। उिका भाग्र्य
भी उनहीं की तरह सोर्या रहता है, ऐसे व्र्यष्क्त के स्र्ास््र्य पर प्रनतकूल प्रभार् पडता है।
(क) समस्त सष्ृटट में िई चेतिा का संचार ककस प्रकार होता है?
I.चााँर्द की चांहर्दिी के सामाि
II. समस्त सष्ृटट में िई चते िा का संचार सूर्यव की सुिहरी ककरणों से होता है।
III.बच्चे के हाँसी के सामाि
IV.ताजी हर्ा के सामाि
(ख) ‘शय्र्या’ शब्र्द का क्र्या अर्व है?
I. चारपाई।
II.कुसी
III.र्दरर्ाजा
IV. सुगंधमर्य
(ग) प्रात:काल के समर्य ककि स्र्ािों की सैर मि को अपार आिंर्द प्रर्दाि करती है?
I. धीमी-धीमी, शीतल, सुगंधमर्य पर्ि के झोंके हृर्दर्य में हहलोर उठाते हैं।
II. प्रात:काल के समर्य र्ि, खेत, उपर्ि र्या िर्दी तट की सैर मि को अपार आिंर्द
प्रर्दाि करती है।
III. स्र्गीर्य संर्देश लेकर धरती पर आती हैं।
IV. भ्रमण करिे से शरीर का अगं अगं खलु ता है
घ) मोहक प्रकृनत से आप क्र्या असभप्रार्य निकालते हैं?
I. प्रात:काल के समर्य र्ि, खेत, उपर्ि र्या िर्दी तट की सैर मि को अपार आिंर्द
प्रर्दाि करती है।
II. धीमी-धीमी, शीतल, सुगंधमर्य पर्ि के झोंके हृर्दर्य में हहलोर उठाते हैं।
III जब पुटप वर्कससत होते हैं, कमल मुसकाते हैं, पेडों पर पक्षी चहचहाते हैं और पर्ि
शीतल और सुगंधमर्य होती है, तब हमें मोहक प्रकृनत का अिुभर् होता है।
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धीमी-धीमी, शीतल, सुगंधमर्य पर्ि के झोंके हृर्दर्य में हहलोर उठाते हैं।
III जब पुटप वर्कससत होते हैं, कमल मुसकाते हैं, पेडों पर पक्षी चहचहाते हैं और पर्ि
शीतल और सुगंधमर्य होती है, तब हमें मोहक प्रकृनत का अिुभर् होता है।
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