Social Sciences, asked by laxmirgh02, 6 months ago

प्रोटॉन की सामाजिक प्रिया की अवधारणा को समझाइए​

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Answered by josanangad17
0

Answer:

mera hindi keyboard nhi hai

Answered by adarshraj313
1

Answer:

सामाजिक प्रक्रियाएं: परिभाषा एवं समाज से सम्बन्ध

सामाजिक प्रकियाएं क्या होती हैं...

मनुष्य की आवश्यकताएं इतनी अधिक हैं कि वह कभी भी पूरी तरह से स्वावलंबी नहीं हो सकता। अपने उद्देश्यों या जरूरतों को पूरी करने के लिए उसे या तो किसी से सहयोग लेना पड़ता है अथवा संघर्ष करना पड़ता है। समाज के अस्तित्व, अनवरतता के लिए ये प्रवृत्तियां आवश्यक होती है। इन प्रवृत्तियो को ही सामाजिक प्रक्रिया कहते हैं।

सामाजिक प्रकियाओं के प्रकार....

लेस्ली ने विभिन्न प्रकार की सामाजिक प्रक्रियाओं को पांच भागों में विभक्त किया है।

-सहयोग

-समायोजन

-आत्मसातीकरण

-संघर्ष

-प्रतियोगिता

इनमें प्रथम तीन संयोजक प्रक्रियाएं हैं, जबकि अंतिम दो विघटनात्मक प्रक्रियाएं हैं।

सामाजिक प्रकिया व अंत:क्रिया में विभेद...

कुछ समाजशास्त्रियों ने अंत:क्रिया और सामाजिक प्रक्रिया को एक ही अर्थ में प्रयोग किया है, जबकि दोनों अलग-अलग धारणाएं हैं।

सामाजिक अंत:क्रिया की अंत:क्रिया पर आश्रितता...

दरअसल प्रत्येक सामाजिक प्रक्रिया के अंतर्गत अन्त:क्रिया पाई जाती है। वहीं प्रत्येक अन्त:क्रिया के अंतर्गत सामाजिक प्रक्रिया नहीं होती। हां अन्त:क्रियाओं का परिणाम ही आगे चलकर सामाजिक प्रकिया के रूप में हो जाता है। जो समाज के अन्य लोगों और पीढिय़ों द्वारा अनुसरित की जाती हैं।

अंत:क्रिया का प्रमुख लक्षण...

अन्त:क्रियाओं के अंतर्गत दो या दो से अधिक व्यक्तियों के बीच भाषा या संकेत के माध्यम से भावनाओं को आदान-प्रदान होता है। जब तक कम से कम दो व्यक्तियों के बीच मौखिक, लिखित या सांकेतिक रूप से मनोभावों का आदान प्रदान नहीं होता, उसे अन्त:क्रिया नहीं कहा जाएगा।

अंत:क्रिया बनाम भौतिक क्रिया...

जैसे कि वर्षा होने पर छाता खोल लेना, घर से निकलने के पहले जूते पहनना, दूर से किसी पर नजर डालना आदि अंत:क्रियाएं नहीं हैं। क्योंकि इनमें मनोभावों का आदान प्रदान नहीं हुआ है। ये सिर्फ भौतिक क्रियाएं हैं।

लेकिन अगर किसी ने आपको छाता मदद के लिए बढ़ाया है और आपने उसे लिया है। किसी ने आपको जूते उपलब्ध कराए हैं और आपने उसे स्वीकार लिया है। और किसी से आपकी नजरें टकराई हैं और आप दोनों में मुस्कराहट, स्वागत, नफरत जैसे भावों को आदान प्रदान होता है तो ये सब अंत:क्रियाओं के अंतर्गत आएंगी।

अंत:क्रियाओं के स्तर...

सामाजिक अन्त:क्रियाएं तीन स्तरो पर चलती हैं

-व्यक्ति-व्यक्ति के बीच

-व्यक्ति-समूह के बीच

-समूह-समूह के बीच

अंत:क्रिया से सामाजिक प्रक्रिया की राह...

एक सामाजिक प्रक्रिया के अंतर्गत बहुत सी अंत:क्रियाएं छिपी रहती हैं। जैसे लड़का-लड़की कभी मिले और उनमें वार्तालाप आदि हुआ तो यह अंत:क्रिया हुई। ये वार्तालाप अगर कई बार होता है और उनमें प्रेमविवाह या विवाह के रूप में परिणत हो गया तो इसे सामाजिक प्रकिया कहेंगे।

अन्य उदाहरण...

इसी प्रकार कोई व्यक्ति किसी दूसरे व्यक्ति के किसी कृत्य का हल्के-फुल्के ढंग से विरोध करता है तो उसे तो यह अंत:क्रिया कहलाएगी, इसके विपरीत अगर यह विरोध सामूहिक, जातिगत या समुदायगत रूप धारण कर लेता है तो यह सामाजिक प्रक्रिया के अंतर्गत हो जाता है। इस प्रकार हम देखते हैं कि सामाजिक अंतक्रियाओं के सामूहिक परिणाम के रूप में सामाजिक अंत:क्रियाओं का जन्म होता है।

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