पूरित पराग सों उतारो करै राई नोन,
कंजकली नायिका लतान सिर सारी दै।
मदन महीप जू को बालक बसंत ताहि,
प्रातहि जगावत गुलाब चटकारी दै॥
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Answer: पूरित पराग सों उतारो करै राई नोन,
कंजकली नायिका लतान सिर सारी दै।
मदन महीप जू को बालक बसंत ताहि,
प्रातहि जगावत गुलाब चटकारी दै॥
Explanation:
प्रस्तुत पद्यांश में देव जी कहते हैं कि प्रकृति वसंत ऋतु के कारण ऐसा महक रहा है मानो किसी घर में किसी नव शिशु चारों ओर राई और नमक घुमा कर जला दिया गया हो।। कमल के फूल ऐसे प्रतीत हो रहे हैं जैसे कोई स्त्री अपने सिर पर सारी दी हो।।
सुबह-सुबह गुलाब चुटकी बजाकर के कामदेव के पुत्र बालक बसंत को जगाते हो।।
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