प्रोत्साहित कर रहे हैं। हमें इसी प्रकार वीर तथा उदार होना चाहिए।
जब भी अँधेरे का आक्रमण हो, अपनी आत्मा पर बल दो और जो कुछ प्रतिकूल है, नष्ट हो जायेगा; क्योंकि
यह सब स्वप्न ही तो है। आपत्तियाँ पर्वत जैसी भले ही हों, सब कुछ भयावह और अन्धकारमय भले ही दिले
जान लो, यह सब माया है। डरो मत, यह भाग जायेगी। कुचलो और यह लुप्त हो जायेगी। ठुकराओ और यह
जायेगी। डरो मत, यह न सोचो कि कितनी बार असफलता मिलेगी। चिंता न करो। काल अनंत है। आने
बारंबार अपनी आत्मा पर बल दो। प्रकाश जरूर ही आयेगा। तुम चाहे किसी से भी प्रार्थना क्यों न करो, पर
तुम्हारी सहायता करेगा? जिसने स्वयं मृत्यु पर विजय नहीं पायी, उससे तुम किस सहायता की आशा करते
स्वयं ही अपना उद्धार करो। मित्र, दूसरा कोई तुम्हें मदद नहीं कर सकता, क्योंकि तुम स्वयं ही अपने सब
शत्रु
और स्वयं ही अपने सबसे बड़े हितैषी हो। तो फिर आत्मा का आश्रय लो। उठ खड़े हो जाओ; डरो मत
(क) गद्यांश के लिए उचित शीर्षक दीजिए।
(ख) लेखक ने समाचार पत्रों में क्या पढ़ा?
(ग) डूबते यात्रियों ने वीरता व उदारता का परिचय कैसे दिया?
(घ) भय व अंधकार को किस प्रकार नष्ट किया जा सकता है?
(ङ) विपत्ति में मनुष्य की सहायता कौन करता है?
(च) 'प्रशांत', 'सचित्र' में से उपसर्ग छाँटिए।
में फंस गये थे। 'सचित्र लन्दन समाचार' पत्रिका में इस घटना का एक चित्र भी आया था। तूफान में न केवल
बहुत दिनों पहले मैंने समाचार-पत्रों में पढ़ा था कि प्रशांत महासागर के एक द्वीपपुंज के निकट
ब्रिटिश जहाज को छोड़ अन्य सभी मग्न होकर डूब गये। वह ब्रिटिश जहाज तूफान पार कर चला आया कि
दिखाया है कि जहाज डूबे जा रहे हैं, उनके डूबते हुये यात्री डेक पर खड़े होकर तूफान से बच जाने वाले यात्रियों
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plz keep this question in english then we can answer you
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