प्रातः स्मरण के श्लोक अर्थ सहित
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पृथ्वी सगन्धा सरसास्तथापः
स्पर्शी च वायुज्र्वलनं च तेजः।
नभः सशब्दं महता सहैव
कुर्वन्तु सर्वे मम सुप्रभातम्।।6।।
अपने गुणरूपी गंध से युक्त पृथ्वी, रस से युक्त जल, स्पर्श से युक्त वायु, ज्वलनशील तेज, तथा शब्द रूपी गुण से युक्त आकाश महत् तत्व बुद्धि के साथ मेरे प्रभात को मंगलमय करें अर्थात पांचों बुद्धि-तत्व कल्याण हों।
प्रातः स्मरणमेतद्यो विदित्वादरतः पठेत्।
स सम्यक्धर्मनिष्ठः स्यात् अखण्डं भारतं स्मरेत्।। 7।।
इन श्लोको का प्रातः स्मरण भली प्रकार से ज्ञान करके आदरपूर्वक पढ़ना चाहिए। ठीक-ठीक धर्म में निष्ठा रखकर अखण्ड भारत का स्मरण करना चाहिए।
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