Hindi, asked by saurabhsingh43, 10 months ago

प्रांतीय विद्यालय में हिंदी आवश्यक करने पर विवाद कीजिए​

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Answered by shishir303
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         प्रांतीय विद्यालय में हिंदी आवश्यक करने पर वाद-विवाद

पक्ष —

हिंदी भारत के 70%से 80% लोगों द्वारा समझी एवं बोली जाती है। भारत की लगभग 45% यानि 50 करोड़ से ज्यादा लोगों की मातृभाषा हिंदी है, और उससे भी अधिक लोगों की द्वितीय भाषा हिंदी है, यानि वो हिंदी को समझ और बोल लेते हैं। विभिन्न भाषाओं वाले पूरे भारत में अगर कोई एक भाषा संपर्क भाषा के रूप में काम कर सकती है तो वह केवल हिंदी भाषा ही है। दक्षिण भारतीय राज्य भले ही हिंदी भाषा का विरोध करते हों और अंग्रेजी भाषा को संपर्क भाषा के रूप में मानते हो, लेकिन अंग्रेजी भाषा हिंदी का स्थान नहीं ले सकती। अंग्रेजी भाषा आम जनमानस में लोकप्रिय नहीं है। यह भारत में केवल कुछ प्रतिशत लोगों द्वारा बोली एवं समझी जाती है। जबकि हिंदी का क्षेत्र विशाल एवं व्यापक है। हिंदी ही एकमात्र संपर्क भाषा के रूप में देश की संपर्क भाषा बन सकती है। इसलिए प्रांतीय विद्यालयों में हिंदी को अनिवार्य किया जाना उचित है

विपक्ष —

भाषा अपनी पसंद का विषय होना चाहिए ना की जबरदस्ती थोपी जानी चाहिए। हिंदी को किसी भी राज्य में पढ़ाये जाने के लिए जबरदस्ती थोपा जाना उचित नहीं है। कुछ राज्यों का तर्क है कि अगर हिंदी उनके यहां अनिवार्य की गई तो हिंदी उनकी क्षेत्रीय भाषा को महत्वहीन कर देगी और उसका स्थान ले लेगी। इससे उनकी भाषा का अस्तित्व समाप्त हो सकता है इसलिए अन्य क्षेत्रीय भाषाओं के अस्तित्व के लिए आवश्यक है कि हिंदी का स्तर सीमित किया जाए। आज अंग्रेजी का प्रचलन ज्यादा है। अंग्रेजी रोजगार से संबंधित हो चुकी है इसलिए अंग्रेजी को संपर्क भाषा में रखना चाहिए।

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