प्र-२) दिए गए संकेत बिदुओं के आधार पर लगभग १०० शब्दों का एक अनुच्छेद लिखिए-
नैतिक शिक्षा का महत्त्वः
i) भूमिका
ii) नैतिक शिक्षा की आवश्यकता क्यों
iii) नैतिक शिक्षा के अभाव के दुष्परिणाम iv) उपसंहार
Answers
Answer:
आज मानवीय जीवन की नैतिक शिक्षा का होना ही समाज सुधार की प्रथम सीढ़ी है। नैतिक शिक्षा की समाज में बहुत ही अहम् भूमिका है। आज अगर देखा जाए तो मानवीय जीवन सिर्फ और सिर्फ अपने जीवन को सुधारने में ही लगा रहता है। जिसके लिए वो तरह तरह की शिक्षाए ग्रहण करता है। नैतिक शिक्षा भी मानव जीवन की सबसे बड़ी आवश्यकता है। क्युकी जीवन में नैतिक मूल्यों का होना जीवन का प्रथम लक्ष्य होना चाहिए। शिक्षा मानव को पशुओं से अलग बनाती है, क्युकी शिक्षा ही हमें बताती है की हमें जीवन में कैसे आगे बढ़ना है और समाज में हमें इन आदर्शो के साथ सम्बन्ध स्थापित करके अपने जीवन को सुखमय बनाना भारतीय समाज में शिक्षा भारत की संस्कृति से विमुख होकर अब अंग्रेजी सभय्ता की तरफ जा रही है। प्राइवेट विद्यालय में अंग्रेजी भाषा को सबसे बड़ा ज्ञान समझा जाता है। जबकि उस ज्ञान का हमारे सामाजिक रहन सहन से कोई लेना देना नहीं होता है। नैतिक शिक्षा का अर्थ होता है कि बच्चे की शारीरिक, मानसिक और नैतिक शक्तियों का सर्वतोन्मुखी विकास हो।नैतिक शब्द नीति में इक प्रत्यय के जुड़ने से बना है। नैतिक शिक्षा का अर्थ होता है- नीति संबंधित शिक्षा। नैतिक शिक्षा का अर्थ होता है कि विद्यार्थियों को नैतिकता, सत्यभाषण, सहनशीलता, विनम्रता, प्रमाणिकता सभी गुणों को प्रदान करना।
आज हमारे स्वतंत्र भारत में सच्चरित्रता की बहुत बड़ी कमी है। सरकारी और गैर सरकारी सभी स्तरों पर लोग हमारे मनों में विष घोलने का काम कर रहे हैं। इन सब का कारण हमारे स्कूलों और कॉलेजों में नैतिक शिक्षा का लुप्त होना है।
मनुष्य को विज्ञान की शिक्षा दी जाती है उसे तकनीकी शिक्षण भी दिया जाता है लेकिन उसे असली अर्थों में इंसान बनना नहीं सिखाया जाता है। नैतिक शिक्षा ही मनुष्य की अमूल्य संपत्ति होती है और इस संपत्ति के आगे सभी संपत्ति तुच्छ होती हैं। इन्हीं से राष्ट्र का निर्माण होता है और इन्हीं से देश सुदृढ होता है।