प्रादेशिक भाषा और राष्ट्र भाषा में दो दो अंतर लिखिए
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राजभाषा का शाब्दिक अर्थ है- राजकाज की भाषा। जो भाषा देश के राजकीय कार्यों के लिए प्रयुक्त होती है, वह ’राजभाषा’ कहलाती है।
✔️ राजाओं-नवाबों के जमाने में इसे ’दरबारी भाषा’ कहते थे।
✅ राजभाषा एक संवैधानिक शब्द है। हिन्दी को 14 सिंतबर 1949 को संवैधानिक रूप से राजभाषा घोषित किया गया, इसीलिए प्रत्येक वर्ष 14 सितंबर को ’हिन्दी दिवस’ के रूप में मनाया जाता है।
✔️ राजभाषा का एक निश्चित मानक स्वरूप होता है, जिसके साथ छेङछाङ या प्रयोग नहीं किया जा सकता।
✅ वर्तमान समय में भारत सरकार के कार्यालयों एवं हिन्दी-भाषी राज्यों में राजकाज हिन्दी में होता है। अन्य राज्य सरकारें अपनी-अपनी भाषाओं में कार्य करती है। यथा-महाराष्ट्र मराठी में, गुजरात गुजराती में, पंजाब पंजाबी में आदि।
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प्रादेशिक भाषा और राष्ट्र भाषा में दो दो अंतर लिखिए
Explanation:
- प्रादेशिक भाषा के लिए एक राज्य होना जरुरी है।
- जबकि राष्ट्रभाषा के लिए किसी राज्य या प्रदेश का होना जरूरी नहीं है।
- प्रादेशिक भाषा और राज्यभाषा में ज्यादा कुछ अंतर नहीं है।
- राज्य भाषा को हम प्रादेशिक भाषा के रूप में मान सकते हैं।
- राजभाषा एक संवैधानिक शब्द है। हिन्दी को 14 सिंतबर 1949 को संवैधानिक रूप से राजभाषा घोषित किया गया, इसीलिए प्रत्येक वर्ष 14 सितंबर को ’हिन्दी दिवस’ के रूप में मनाया जाता है।
- राजभाषा का एक निश्चित मानक स्वरूप होता है, जिसके साथ छेङछाङ या प्रयोग नहीं किया जा सकता।
राजभाषा का सीधा-सादा अर्थ है – राजकाज अर्थात् शासन-प्रशासन अथवा सरकारी कामकाज की भाषा। संविधान सभा की स्वीकृति से 14 सितम्बर, 1949 को हिंदी राजभाषा बनी। इस प्रकार से राजभाषा एक संवैधानिक शब्द है, जिसकी परिभाषा इस प्रकार से दी जा सकती है-समान्य शासन-प्रशासन, न्याय-प्रक्रिया, संसद-विधान मंडल एवं सरकारी कार्यालयों में प्रयोग हेतु संविधान द्वारा स्वीकृत भाषा एवं लिपि तथा भारतीय अंकों का रूप ही राजभाषा है।
प्रादेशिक भाषा और राष्ट्र भाषा में दो दो अंतर लिखिए
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Rashtrabhasha tatha rajbhasha me kya antar hai udaharan dwara spasht kijiyi
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