प्रादेशिक भाषा और राष्ट्रभाषा को में दो-दो अंतर बताइए
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उत्तर:
भारत की राष्ट्र भाषा कोई भी एक भाषा नहीं - बल्कि वह भारतीयता की भावना है जो कि हम सभी भारतवासियों के हृदय में एकता की भावना व देश के प्रति गैरव की भावना उतपन करती है।
मुंशी प्रेमचंद ने सच ही लिखा है -
यदि आपके पास कहने को कुछ है - तो भाषा कुछ नहीं है|
यदि आपके पास कहने को कुछ नहीं है - तो भाषा ही भाषा है।
यह माना कि आप शायद इस सवाल के उत्तर में एक भाषा का नाम देखना चाहते हैं - मगर याद रखें की प्रेमचंद जी सिर्फ हिन्दी में ही नहीं बल्कि एक तखलुस धारण कर के उर्दू भाषा में भी लिखते थे - व सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि उनकी कहानिया पाकिस्तान में भी पाठ्यक्रम में स्कूल जाते बच्चों को पढ़ाई जाती हैं ।
मैं भारत के कई शहरों में रहा हूँ - व विदर्शों में भी भारतीयों व पढ़ोसी देशों के लोगों से मिला हूँ - व मेरे अनुभव में यह भारतीयता की भावना में वो ताक़त है की यह भारतीयों को ही नहीं बल्कि कई देशों के लोगों को एक जुट कर के रखती है।