पूर्व चलने के बटोही बाट की पहचान कर ले।
पुस्तकों में है नहीं छापी गई इसकी कहानी
हाल इसका ज्ञात होता है न औरों की जुबानी।
अनगिनत राही गए इस रात से, उनका पता क्या
पर गए कुछ लोग इस पर छोड़ पैरों की निशानी।
यह निशानी मूक होकर भी बहुत कुछ योलती है
खोल इसका अर्थ पधो, पथ का अनुमान कर ले।
यह बुरा है या कि अच्छा, व्यर्थ दिन इस पर बिताना
जब असभव छोड़ यह पथ दूसरे पर पग बढ़ाना।
तू इसे अच्छा समझ, यात्रा सरल इससे बनेगी,
सोच मत केवल तुझे ही यह पड़ा मन में बिठाना।
हर सफल पधी यही विश्वास ते इस पर खड़ा है
तू इसी पर आज अपने चित्त का अवधान कर ले।
पूर्व चलने के बटोही, बाट को पहचान कर ले।
प्रश्न- 1. "बटोही" शब्द का अर्थ है।
(क) अध्यापक
(ख) विद्यार्थी
(ग) यात्री
(घ) व्यापारी
2. 'पैरों की निशानी' से कवि का क्या अभिप्राय है?
(क) पैर के निशान
(ख) जमीन में पड़े गड्ढे।
(ग) मार्गदर्शक चिह्न
(घ) यात्रा वृत्तांत
3. राही को क्या नहीं सोचना चाहिए?
(क) पहले कौन-कौन यहाँ से गया
(ख) यह मार्ग अच्छा है या बुरा
(ग) मार्गदर्शक चित्र नहीं है
(घ) यह मार्ग कंटकों से भरा है
4. 'बटोही बाट' में अलंकार है-
(क) श्लेष
(ख) उपमा
(ग) रूपक
(घ) अनुप्रास
5. पंधी की यात्रा सरल हो जाने का उपाय यह है कि वह-
(क) एक को छोड़कर अन्य मार्ग चुन ले जो सरल लगे।
(ख) असंभव समझ कर दूसरे मार्ग पर चल पड़े।
(ग) कठिन या सरल का विचार करना छोड़कर सामने वाले मार्ग (कार्य) को अच्छा
(घ) हर मार्ग पर चलना कठिन होता है, अत: अच्छे - बुरे का विचार करना चाहिए।
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