पारिवारिक जीवन की लिपि में समस्या कौन-कौन सी है
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पारिवारिक जीवन की गाड़ी सदस्यों के त्याग, प्रेम, स्नेह, उदारता, सेवा, सहिष्णुता और परस्पर आदर भाव पर चलती है। परिवार को सहअस्तित्व, सामूहिक जीवन, सेवा और सहिष्णुता की पाठशाला माना गया है, किन्तु जब परस्पर के सम्बन्ध स्वार्थपूर्ण, संकीर्णता, असहिष्णुता से भर जाते हैं तो परिवार नरक की साक्षात् अभिव्यक्ति के रूप में परिणत हो जाते हैं। पारिवारिक जीवन की दुर्दशा का मुख्य कारण है व्यावहारिक जीवन की शिक्षा का अभाव। लड़के और लड़कियों को अनुभवी वृद्ध गुरुजनों के सम्पर्क में रहकर व्यावहारिक जीवन में जीने की जो शिक्षा मिलनी चाहिए उसका आजकल सर्वथा अभाव है। विवाह से पहले कन्या को यह शिक्षा नहीं मिलती कि उसे पति- गृह में जाकर कैसे जीवनयापन करना है? उसका कर्त्तव्य- उत्तरदायित्व क्या है? उसे किन- किन सद्गुणों के द्वारा परिवार को चलाना है? यही बात लड़कों के सम्बन्ध में भी है। पारिवारिक जीवन की शिक्षा का अभाव ही गृहस्थ जीवन की दुर्दशा का मूल कारण है।
वास्तव में समस्याएं हमारे जीवन का एक छोटा सा हिस्सा होती हैं। जीवन में समस्या आने का अर्थ है कि आपकी ज़िन्दगी और अधिक बेहतर होने वाली है। याद रखें कि प्रत्येक समस्या के भीतर ही उसका समाधान छिपा हुआ होता है। समस्याओं को बहुत ही शांत और संयम भाव से लेना चाहिए। यही कारण है कि विवेकशील प्राणी समस्या का हल बड़े ही आनंद से कर लेते हैं।