प्रिय बापू आप अमर हे 500 शब्द मे पत्र
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प्रिय बापू आप अमर हैं - राष्ट्र्पिता महात्मा गांधी जी को पत्र
प्रिय बापू जी ,
आप पूरे देश के राष्ट्र्पिता हो।आपका व्यक्तित्व हमेशा से सरल और शांतिप्रिय रहा है । आज आप किसी न किसी रूप में हमारे बीच में आप अमर हैं।
मैं अक्सरआपको अपने साथ जीवित रूप में पाता हूँ ।जब मेरे पिताजी आपकी कहानियाँ सुनाते हैं तो मैं उन कहानियों में खो जाता हूँ और सोचता हूँ आप मेरे साथ हो ।बचपन में आप शरारती नहीं थे पर आप स्वभाव के चंचल थे । धीरे -धीरे आप बड़े होते गए। आपका मंत्र था -"मर -मर के न जियो,निर्भय बनो,जीना है तो मरना सीखो ।" आपकी इस तरह की दी हुई प्रेरणात्मक सीख हमेशा हमारे दिलों में रहती है।
आप बच्चों से बहुत प्यार करते थे।एक बार की बात है ,एक बच्चा आपके पहनावे को देखकर आश्चर्यचकित रह गया था और जाकर आपसे कहता है की आप महान इंसान है की आप इतने सादे कपड़ों में रहते हैं ।तब आपने कहा की मैं गरीब आदमी हूँ ,मैं अच्छे कपड़े कैसे सिलवाऊँ ? तब यउस बच्चे ने कहा की मेरी माँ आपके लिये कुर्ता सिल देगी।तब आपने कहा की मेरे लिये कितने कुर्ते सिल पाएँगी ? बच्चे ने कहा -जितने आप कहोगे । फिर आपने दिल को छूने वाली बात कही कि -"बेटा ! मेरा परिवार बहुत बड़ा है , मैं अकेला कुर्ता पहनुगा तो अच्छा नहीं लगेगा,क्या तुम्हारी माँ मेरे40 करोड़ भाई-बहनों के लिए कुर्ते सिल पाएगी ?" वह बच्चा आश्चर्यचकित हो उठा कि आप सारे लोगों को अपने परिवार का सदस्य मानते हो। आपके यही गुण आपको महान बनाते है।
आपके जीवन कि एक और घटना मुझे याद है जब आप प्रथम श्रेणी के डिब्बे से दक्षिण अफ्रीका जा रहे थे । उस समय काले-गोरे का भेद-भाव चल रहा था। दक्षिण अफ्रीका में लोग भारतियों को कुली समझते थे।उस समय प्रथम श्रेणि के डिब्बे में काले लोगों को बैठने की आनुमती नहीं थी और आपको उस डिब्बे से बाहर निकाल दिया गया था । तब आपके मन में ठेस पहुंची की यह मानवता के खिलाफ अन्याय है। इसलिये आपने अन्याय के खिलाफ सत्या का हाथियार इस्तेमाल किया और इसे ही सत्याग्रह आंदोलन के नाम से जाना जाता है।आपने दांडी यात्रा जैसे कई आंदोलन चलाये ।
आपकी भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम मै अहम भूमिका निभाई है और आपको राष्ट्र्पिता का दर्जा मिला।अत : यह कहना उचित होगा कि " प्रिय बापू आप अमर हैं।"