प्रिय बेटी इंदिरा,
अपने पिछले खत में मैंने कामों के अलग-अलग किए जाने का
कुछ हल बतलाया था । बिलकुल शुरू में जब आदमी सिर्फ शिकार
पर गुजर-बसर करता था, काम बंटे हुए न थे। हरेक आदमी शिकार
करता था और मुश्किल से खाने भर को पाता था । सबसे पहले मर्दो
और औरतों के बीच में काम बँटना शुरू हुआ होगा ; मर्द शिकार करता
होगा और औरत घर में रहकर बच्चों और पालतू जानवरों की निगरानी
करती होगी।
जब आदमियों ने खेती करना सीखा तो बहुत-सी नई-नई बातें
निकलीं । पहली बात यह हुई कि काम कई हिस्सों में बँट गए ।
कुछ लोग शिकार खेलते और कुछ खेती करते और हल चलाते ।
ज्यों-ज्यों दिन गुजरते गए आदमियों ने नये-नये पेशे सीखे और उनमें
पक्के हो गए।
खेती करने का दूसरा अच्छा नतीजा यह हुआ कि गाँव
और कस्बे बने। लोग इनमें आबाद होने लगे । खेती के पहले लोग
इधर-उधर घूमते-फिरते थे और शिकार करते थे। उनके लिए एक
जगह रहना जरूरी नहीं था। शिकार हरेक जगह मिल जाता था। इसके
सिवा उन्हें गायों, बकरियों और अपने दूसरे जानवरों की वजह से
इधर-उधर घूमना पड़ता था । इम जानवरों के चराने के लिए चरागाहों
की जरूरत थी । एक जगह कुछ दिनों तक चरने के बाद जमीन में
जानवरों के लिए काफी घास पैदा नहीं होती थी और सारी जाति को
दूसरी जगह जाना पड़ता था। (muhare pahchano )
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Explanation:
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