Business Studies, asked by vijaykamalsah, 5 months ago

प्रायोगिक अभिलेख पुस्तिका एवं मौखिकी।​

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Answered by Anonymous
7

\huge \fbox \pink{"उत्तर}

प्रायोगिक ज्ञान एक शिक्षा प्रक्रिया है जिसमे अनुभव के मध्यम से शिक्षित किया जाता है और जिसे अधिक विशेष रूप से परिभाषित किया जाता है जिसमे "प्रतिबिंब द्वारा शिक्षा प्राप्त होता है"।[1] प्रायोगिक ज्ञान दुहराव शिक्षा तथा प्रभोधक शिक्षा से काफ़ी अलग है, जिसमे शिष्य अपेक्षाकृत निष्क्रिय भूमिका निभाता है।[2] ये सक्रिय अध्ययन जैसे अभिनय सीखना, साहसिक सीखने, स्वतंत्र चुनाव सीखने, सहकारी शिक्षा, और सेवा करने के सात पढ़ना, से सम्भन्धित ज़रूर है लेकिन ये सब इसके पर्याय नही है।[3]

प्रायोगिक ज्ञान एक शिक्षा प्रक्रिया है जिसमे अनुभव के मध्यम से शिक्षित किया जाता है और जिसे अधिक विशेष रूप से परिभाषित किया जाता है जिसमे "प्रतिबिंब द्वारा शिक्षा प्राप्त होता है"।[1] प्रायोगिक ज्ञान दुहराव शिक्षा तथा प्रभोधक शिक्षा से काफ़ी अलग है, जिसमे शिष्य अपेक्षाकृत निष्क्रिय भूमिका निभाता है।[2] ये सक्रिय अध्ययन जैसे अभिनय सीखना, साहसिक सीखने, स्वतंत्र चुनाव सीखने, सहकारी शिक्षा, और सेवा करने के सात पढ़ना, से सम्भन्धित ज़रूर है लेकिन ये सब इसके पर्याय नही है।[3]प्रायोगिक ज्ञान का अक्सर इस्तेमाल अनुभवात्मक शिक्षा से किया जाता है जिसे इसका पर्याय बी बोलते है लेकिन अनुभवात्मक शिक्षा, शिक्षा का एक व्यापक दर्शन है और प्रायोगिक ज्ञान व्यक्तिगत सीखने की प्रक्रिया को समझता है। [4] जैसे की अगर अनुभवात्मक शिक्षा से तुलना किया जाए तो प्रायोगिक ज्ञान ठोस मुद्दा है जो शिष्य और सीखने के संधर्ब से सम्भन्धित है।

प्रायोगिक ज्ञान एक शिक्षा प्रक्रिया है जिसमे अनुभव के मध्यम से शिक्षित किया जाता है और जिसे अधिक विशेष रूप से परिभाषित किया जाता है जिसमे "प्रतिबिंब द्वारा शिक्षा प्राप्त होता है"।[1] प्रायोगिक ज्ञान दुहराव शिक्षा तथा प्रभोधक शिक्षा से काफ़ी अलग है, जिसमे शिष्य अपेक्षाकृत निष्क्रिय भूमिका निभाता है।[2] ये सक्रिय अध्ययन जैसे अभिनय सीखना, साहसिक सीखने, स्वतंत्र चुनाव सीखने, सहकारी शिक्षा, और सेवा करने के सात पढ़ना, से सम्भन्धित ज़रूर है लेकिन ये सब इसके पर्याय नही है।[3]प्रायोगिक ज्ञान का अक्सर इस्तेमाल अनुभवात्मक शिक्षा से किया जाता है जिसे इसका पर्याय बी बोलते है लेकिन अनुभवात्मक शिक्षा, शिक्षा का एक व्यापक दर्शन है और प्रायोगिक ज्ञान व्यक्तिगत सीखने की प्रक्रिया को समझता है। [4] जैसे की अगर अनुभवात्मक शिक्षा से तुलना किया जाए तो प्रायोगिक ज्ञान ठोस मुद्दा है जो शिष्य और सीखने के संधर्ब से सम्भन्धित है।अनुभवात्मक के मध्यम से शिक्षा का प्राप्त करना सामान्य अवधारणा से प्राचीन है। लगभग ३५० बॅ.ए. मे एरिसटॉटल ने निचोमाचेआन आचार मे लिखा था, "हम उन्हे कर सकते हैं इस से पहले की उन चीज़ो को सीखने के लिए, हम उन्हे ऐसा करने से सीखना।"[5] लेकिन शैक्षिक दृष्टिकोण के व्यक्त, प्रायोगिक ज्ञान बहुत अधिक हाल का विंटेज है। इसकी शुरूवात १९७० मे हुआ, डेविड. आ. कोल्ब ने प्रायोगिक ज्ञान के आधुनिक सिद्धांत को विकसित करने मे मदद किया और वे जॉन ड्यूयी, कर्ट लूयिन, और जीन पियजे के कामो से काफ़ी आकर्षित थे।

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