प्रिय वाक्य प्रदानेन सर्वे तुष्यन्ति जन्तवः,तस्मात प्रियं हि वक्तव्यं वचने का दरिद्रता ।। श्लोक के आधार पर उत्तर दीजिए - सर्वे जन्तवः केन तुष्यन्ति ?
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प्रिय प्रदानेन
प्रियवाक्य प्रदानेन
वाक्य प्रदानेन
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Answer:
प्रियवाक्य प्रदानेन सर्वे तुष्यन्ति जन्तवः । तस्मात तदैव वक्तव्यम वचने का दरिद्रता।। अर्थात:- प्रिय वाक्य बोलने से सभी जीव संतुष्ट हो जाते हैं, अतः प्रिय वचन ही बोलने चाहिएं। ... अर्थात:- प्रिय वाक्य बोलने से सभी जीव संतुष्ट हो जाते हैं, अतः प्रिय वचन ही बोलने चाहिएं।
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सुभाषितानि पाठ का परिचय
प्रस्तुत पाठ में विद्वानों के सुभाषित श्लोक विद्यमान हैं। श्लोकों के द्वारा शिक्षा दी गई है उसमें शिक्षाविदों की मुखर कविताएँ हैं। कविताएँ यह निर्देश देती हैं कि जीवन में क्या उपयोगी है और मनुष्य को सफलता के लिए कैसे सोचना और व्यवहार करना चाहिए।
Explanation:
उत्तर-> रूप ...............................................रेखा|
प्रियवाक्य .......................................दरिद्रता||
प्रसंग -> प्रस्तुत श्लोक हमारी संस्कृत की पाठ्य पुस्तक “रुचिरा-II” के पाठ ‘सुभाषितानि’ से लिया गया है | इसमें कवि ने प्रिय वाक्य को कहने के लिए प्रेरित कहा है|
सरलार्थ ->मधुर वचन बोलने से सभी प्रसन्न होते हैं, अत: मधुर वचन बोलना निश्चित रूप से एक अच्छा विचार है। कुटिलता क्या है, या वाणी की दरिद्रता क्या है?
भाव -> प्रत्येक मनुष्यों को प्रिय वाणी अच्छी लगती है अतः इसलिए हमें सदैव प्रिय बोलना चाहिए|
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