प्रिया वाक्य प्रधान ने सर्वे तुष्यंति मान वाटर माता प्रिमम ही व्यक्त अवयव बचने का प्रति व्रता सरलार्थ
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उन्होंने हिन्दी के प्रयोग को राष्ट्रीय स्वरूप प्रदान किया। वे कहते थे, 'मेरी आँखें उस दिन को देखना चाहती है जब कश्मीर से कन्याकुमारी तक सब भारतीय एक भाषा समझने और बोलने लग जायँ।'
अरविंद दर्शन के प्रणेता अरविंद घोष की सलाह थी कि 'लोग अपनी-अपनी मातृभाषा की रक्षा करते हुए सामान्य भाषा के रूप में हिन्दी को ग्रहण करें।
थियोसोफिकल सोसायटी (1875 ई०) की संचालिका ऐनी बेसेंट ने कहा था : 'भारतवर्ष के भिन्न-भिन्न भागों में जो अनेक देशी भाषाएँ बोली जाती हैं, उनमें एक भाषा ऐसी है जिसमें शेष सब भाषाओं की अपेक्षा एक भारी विशेषता है, वह यह कि उसका प्रचार सबसे अधिक है। वह भाषा हिन्दी है। हिन्दी जाननेवाला आदमी संपूर्ण भारतवर्ष में यात्रा कर सकता है और उसे हर जगह हिन्दी बोलनेवाले मिल सकते हैं। ...... भारत के सभी स्कूलों में हिन्दी की शिक्षा अनिवार्य होनी चाहिए।'
उपर्युक्त धार्मिक/सामाजिक संस्थाओं के अतिरिक्त प्रार्थना समाज (स्थापना 1867 ई०, संस्थापक-आत्मारंग पाण्डुरंग), सनातन धर्म सभा (स्थापना 1895 ई०, संस्थापक-पं० दीनदयाल शर्मा), रामकृष्ण मिशन (स्थापना 1897