प्रियवाक्यप्रदानेन सर्वे तुष्यन्ति मानवाः।
तस्मात् प्रियं हि वक्तव्यं वचने का दरिद्रता ।।3।।भावार्थ?
please very urgent
Answers
Answered by
129
Answer:
प्रियवाक्यप्रदानेन सर्वे तुष्यन्ति जन्तवः ।
तस्मात् तदेव वक्तव्यं वचने का दरिद्रता ॥
प्रिय वाणी बोलने से सभी संतुष्ट रहते हैं, अर्थात् सदैव प्रिय भाषण ही करना । प्रिय बोलने में क्यों कंजूसी करना ?
Answered by
41
उत्तर-> रूप ...............................................रेखा|
प्रियवाक्य .......................................दरिद्रता||
प्रसंग -> प्रस्तुत श्लोक हमारी संस्कृत की पाठ्य पुस्तक “रुचिरा-II” के पाठ ‘सुभाषितानि’ से लिया गया है | इसमें कवि ने प्रिय वाक्य बोलने को कहा है|
सरलार्थ -> प्रिय वाक्य बोलने से सभी मनुष्य खुश होते हैं इसलिए निश्चित रूप से प्रिय बोलना चाहिए वाणी के क्या दरिद्रपन है अर्थात क्या कुटिलता है?
भाव -> सभी मनुष्यों को प्रिय वाणी अच्छी लगती है इसलिए हमें प्रिय बोलना चाहिए|
Similar questions