प्र01
निम्नलिखित गद्यांश को पढकर उन पर आधारित प्रश्नों के उत्तर दीजिए
10
मनुष्य को प्रफुल्लित करने के लिए बहुत कुछ भूल जाना चाहिए। क्योंकि अच्छे स्वास्थ्य विस्मृति में ही खुशियां
बसती है। विस्मृति हमें भूलने और क्षमा करने में सहायता करती है। रावण अत्यंत बुद्धिमान था। लेकिन उसने कोध के
कारण अपना सर्वस्व नष्ट कर लिया। कोध में होने पर मनुष्य अपना बहुमूल्य समय तुच्छ और विवेकहीन कार्यों में नष्ट
कर लेता है। जिस प्रकार माचिस की तीली जरा सी रगड सजल उठती है। क्योंकि उसके मुख होता है। पर मस्तिक
नहीं होता है।
हमे कोध आने पर अपने मस्तिक का इस्तेमाल करना चाहिए हमें ईश्वर से प्रार्थना करनी चाहिए कि हमें
समस्याएं दें। मगर उन्हें सुलझाने की बुद्धि और सामर्थ्य भी प्रदान करें। द्रोपदी के केवल एक वाक्य अंधे का पुत्र अंधा
कहने मात्र से कोरवों पांडवों के युद्ध की नीवं पड गई थी। हम अगर दूसरे की गलतियां देखकर उन पर उंगली उठाना
चाहते है तो हमें ऐसा तभी करना चाहिए। जब हम उस काम को करने में निपुण हो अन्यथा नहीं जब हम दूसरों की
गलती की आलोचना करते है। तो हम उन्हें अनायास अपना दुश्मन बना लेते है। जबकि असली ताकत गलतियों को
स्वीकार करने और खुद पर हंसने में ही है , छिद्राक्वेषण में नहीं।
पश्न-
1 गद्यांश के आधार पर विस्मृति का लाभ स्पष्ट किजिए
2 कोध से क्या अभिप्राय है। इसे किसके समान बताया गया है
3 मनुष्य अपना समय कब तथा कैसे नष्ट करना है।
4 हम कैसे अपने दुश्मनों का निर्माण कर लते है। गद्यांश के आधार पर बताएं।
5 हमें दूसरों पर अंगुली कब उठानी चाहिए।
उताटव त्याकरण
loonsingh1977:
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Answer:
1)गद्यांश के आधार पर विस्मृति हमें भूलने और क्षमा करने में सहायता करती है।
2)कोध के कारण अपना सर्वस्व नष्ट कर लिया। कोध में होने पर मनुष्य अपना बहुमूल्य समय तुच्छ और विवेकहीन कार्यों में नष्ट
कर लेता है। जिस प्रकार माचिस की तीली जरा सी रगड सजल उठती है। क्योंकि उसके मुख होता है। पर मस्तिक
नहीं होता है।
3)कोध में होने पर मनुष्य अपना बहुमूल्य समय तुच्छ और विवेकहीन कार्यों में नष्ट
कर लेता है।
4)जब हम दूसरों की गलती की आलोचना करते है तो हम उन्हें अनायास अपना दुश्मन बना लेते है
5)हमे दूसरे की गलतियां देखकर उन पर उंगली उठाना चाहिए
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