प्र01:-निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर
छाँटकर लिखिए।
शिशु को यदि हम राष्ट्र की अमूल्य निधि के रूप में देखना चाहते हैं
तो उसे एक ऐसा आदर्श वातावरण प्रदान करना पड़ेगा, जिसमें निर्बाध गति से
उसका चहुंमुखी विकास हो सके। स्वच्छ, शांत, भयमुक्त और स्वास्थ्यप्रद
वातावरण में ही शिशु की कोमल भयमुक्त और स्वास्थ्यप्रद वातावरण में ही शिशु
की कोमल भावनाएँ सुरक्षित रह सकती हैं। शिशु की सुकोमल भावनाओं को
आघात पहुँचाना सामाजिक अपराध है। राष्ट्र का यह पुनीत कर्तव्य है कि वह
प्रत्येक बालक को ऐसा वातावरण उपलब्ध कराए कि उसमें हीन भावना न पनपने
पाए। हीन भावना से ग्रसित शिशु बड़ा होने पर समाज के प्रति अपने कर्तव्य का
सही रूप में निर्वाह नही कर सकता।
1. शिशु को राष्ट्र की अमूल्य निधि किस प्रकार बनाया जा सकता है?
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Answer:
शिशु को राष्ट्र की अमूल्य निधि आदर्श वातावरण प्रदान करके बनाया जा सकता है ।
Explanation:
गद्यांश के आधार पर उत्तर ये है :- शिशु को राष्ट्र की अमूल्य निधि आदर्श वातावरण प्रदान करके बनाया जा सकता है ।
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