प्र011 निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर 25-30 भाब्दों में दीजिए-
(i) ऊपर की तसवीर से यह नहीं माना जाए कि बाल-गोबिन भगत साधु थे।
क्या 'साधु' की पहचान पहनावे के आधार पर की जानी चाहिए ? आप किन
आधारों पर सुनिश्चित करेंगे कि अमुक व्यक्ति ‘साधु' है।
(ii) लखनवी अंदाज' नामक पाठ का क्या संदेश है ?
(iii) लेखक ने मानवीय करुणा की दिव्य चमक किसे कहा है और क्यों ?
(iv) नेताजी की मूर्ति पर चश्मा बदल-बदलकर कौन लगाता था ? वह ऐसा क्यों करता था?
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Answers
(i) ऊपर की तसवीर से यह नहीं माना जाए कि बाल-गोबिन भगत साधु थे। क्या 'साधु' की पहचान पहनावे के आधार पर की जानी चाहिए ? आप किन आधारों पर सुनिश्चित करेंगे कि अमुक व्यक्ति ‘साधु' है
साधु प्रायः गेरुए वस्त्रों में या रामनामी वस्त्र लपेटे नज़र आते हैं। उनके बढ़े दाढ़ी और जटाजूट उनके साधु होने के साधन से दिखते हैं पर यह आवश्यक नहीं कि गेरुआ वस्त्र पहनने वाला हर व्यक्ति साधु ही हो। इस कलयुग में ढोंगियों ने भी यही वस्त्र अपना लिया है, इसलिए पहनावे के आधार पर किसी को साधु नहीं माना जा सकता है। वास्तव में साधु की पहचान उसके पहनावे के आधार पर न करके उसके विचार और व्यवहार पर करना चाहिए। आडंबरहीन जीवन, सद्व्यवहार, सत्यवादिता, परोपकार की भावना पहनावे की सादगी एवं विचारों की उच्चता देखकर किसी भी व्यक्ति को साधु की श्रेणी में रखा जा सकता है।
(ii) लखनवी अंदाज' नामक पाठ का क्या संदेश है ?
लखनवी अंदाज' नामक पाठ के माध्यम से लेखक यह संदेश देना चाहता है कि हमें अपना व्यावहारिक दृष्टिकोण विस्तृत करते हुए दिखावेपन से दूर रहना चाहिए। हमें वर्तमान के कठोर यथार्थ का सामना करना चाहिए तथा काल्पनिकता को छोड़कर वास्तविकता को अपनाना चाहिए जो हमारे व्यवहार और आचरण में भी दिखना चाहिए।
(iii) लेखक ने मानवीय करुणा की दिव्य चमक किसे कहा है और क्यों ?
फादर बुल्के के मन में अपने प्रियजनों के लिए असीम ममता और अपनत्व था। इसलिए लेखक ने फादर बुल्के को 'मानवीय करुणा की दिव्य चमक' कहा है। ... दिल्ली आने पर वे लेखक से दो मिनट के लिए ही सही मिलते जरूर थे।
(iv) नेताजी की मूर्ति पर चश्मा बदल-बदलकर कौन लगाता था ? वह ऐसा क्यों करता था?
हालदार साहब जब भी कस्बे में से गुजरते थे तो वे चौराहे पर रुक कर नेता जी की मूर्ति को देखते रहते थे। ... पूछने पर पान वाले ने हालदार साहब को बताया कि मूर्ति का चश्मा कैप्टन बदलता है। कैप्टन को बिना चश्मे वाली नेताजी की मूर्ति आहत करती थी इसलिए उसने उस मूर्ति पर चश्मा लगा दिया