प्र016 - महाकवि सूरदास 'अथवा गोस्वामी तुलसीदास की काव्यगत विशेषताएँ
निम्नलिखित बिन्दुओं के आधार पर लिखिए
(0 दो रचनाएँ (ii) भावपक्ष (ii) कलापक्ष (iv) साहित्य में स्थान
अंक 04
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महाकवि सूरदास अथवा गोस्वामी तुलसीदास की काव्यगत विशेषताएं निम्नलिखित बिंदुओं के आधार पर के दो रचनाएं भाव पक्ष कला पक्ष साहित्य में स्थान
Answer:
i) दो रचनाएँ :-
1. रामचरित मानस ( महाकाव्य )
2. कवितावली
(ii) भाव-पक्ष :-
1. भक्ति भावना - तुलसीदास राम भक्ति शाखा के प्रतिनिध कवि रह चुके हैं। उनका सम्पूर्ण काव्य राम की भक्ति भावना से सम्बंधित हैं ।
2. समन्वयवादी दृष्टिकोण - इनके आराध्य प्रभु श्री राम थे किन्तु इन्होने सभी देवी देवताओं की स्तुति कर शैव वैष्णवों के मतभेद को दूर किया है।
3. लोकमंगलकारी एवं लोकरंजक काव्य सृजन -इनकी रचना 'सर्व जन हिताय और सर्व जन सुखाय ' से युक्त है ।
(iii) कला-पक्ष :-
1. भाषा :- आप संस्कृत के महा पंडित विद्वान थे। आपने अपनी रचनाओं में मुख्यतः अवधी और ब्रज भाषा का प्रयोग किया है । रामचरित मानस अवधी में तथा कवितावली, गीतावली, विनय पत्रिका आदि की रचना ब्रज भाषा में की है। आपकी भाषा सरल, सरस, एवं रोचक है। कहीं -कहीं आपकी रचनाओं में भोजपुरी, बुंदेलखंडी तथा अरबी और फ़ारसी के शब्द भी मिलते हैं।
2. छंद एवं अलंकार :- आपने मुख्यतः दोहा, चौपाई, सवैया छंदों का प्रयोग किया है। दोहा, चौपाई, कवित्त छंद में रामचरित मानस की रचना की। गीतावली, विनयपत्रिका पद शैली में और कवितावली की रचना सवैया में किया। दोहावली की रचना दोहा छंद में की।
तुलसी दास जी की रचनाओं में अनुप्रास, उपमा, रूपक, उत्प्रेक्षा आदि अलंकारों की छटा दृष्टव्य है ।
3. रससिध्दता :- आपकी रस सिद्ध कवि है। आपके काव्य में श्रृंगार, शांत और वीर रस की त्रिवेणी का अद्भुत संगम है। इसके अतिरिक्त आपकी रचनाओं में करुण, रौद्र, अद्भुत आदि सभी रसों का रसस्वादन किया जा सकता है ।
साहित्य में स्थान - तुलसीदास जी हिंदी साहित्य के सर्वश्रेष्ठ कवि के रूप में सुविख्यात हैं।