प्र018 निम्नलिखित में से किसी एक काव्यांश का संदर्भ-प्रसंग सहित भावार्थ
थल-थल में बसता है शिव ही,
भेद न कर क्या हिन्दू-मुसलमां।
ज्ञानी है तो स्वयं को जान,
वही है साहिब से पहचा
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ignore me bcz I can't give answer
प्र018 निम्नलिखित में से किसी एक काव्यांश का संदर्भ-प्रसंग सहित भावार्थ
संदर्भ-प्रसंग: निम्नलिखित पंक्तियाँ कवियत्री ललद्यद द्वारा रचित वाद्य है| कवयित्री ने इन पंक्तियों के माध्यम से बताना चाहती है कि ईश्वर हर जगह व्याप्त है| ईश्वर हमारे अंदर है| ईश्वर कण-कण में पाए जाते है|
भावार्थ : हम मनुष्य ही धर्म का सहारा लेते हुए लोगों में भेद-भाव उत्पप्न करते है| हिंदू-मुसलमान सब को आपस में बाँट रखा है , ईश्वर सभी के लिए एक है| छोटा -बड़ा , अमीर-गरीब , काला-गोरा ईश्वर सब के लिए एक है| ईश्वर कभी भी किसी के साथ कोई भेद-भाव नहीं करते है| हम अपने आपको ज्ञानी मानते है , तो हमें सबसे पहले अपने आप को पहचानना होगा | ईश्वर के पास पहुंचने का यही रास्ता है , अपने अंदर को पहचानने की कोशिश करे|
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