Hindi, asked by taruna34, 1 year ago

प्र02. निम्नलिखित काव्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए
जीवन की आपाधापी में कब वक्त मिला..
कुछ देर कहीं पर बैठ कभी यह सोच सकूँ,
जो किया, कहा, माना उसमें क्या बुरा-भला।
जिस दिन मेरी चेतना जागी मैंने देखा,
मैं खड़ा हुआ हूँ इस दुनिया के मेले में,
हर एक यहाँ पर एक भुलावे में भूला,
हर एक लगा है अपनी-अपनी दे-ले में.
कुछ देर रहा हक्का-बक्का, भौचक्का-सा-
आ गया कहाँ, क्या करूँ यहाँ जाऊँ कहाँ
फिर एक तरफ़ से आया ही तो धक्का-सा,
मैंने भी बहना शुरु किया उस रेले में,
क्या बाहर की ठेला-पेली ही कुछ कम थी,
जो भीतर भी भावों की ऊहापोह मचा.
जो किया, उसी को करने की मजबूरी थी,
जो कहा, वही मन के अंदर से उबल चला,
जीवन की आपाधापी में कब वक्त मिला,
कुछ देर कहीं पर बैठ कभी यह सोच सकूँ,
जो किया, कहा, माना उसमें क्या भला-बुरा
1.कवि को स्वयं के लिए सोचने का समय किस कारण से नहीं मिला?
2. 'जो भीतर भी भावों का ऊहापोह मचा'- पंक्ति का क्या अर्थ है?
3. 'चेतना जागने' से कवि का क्या अर्थ है?​

Answers

Answered by mwasim91343
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Answer:Jeevan me vyastata ki wajah se

Explanation:

Kavi apne jeevan me adhik vyast rahne ke karan kabhi yah soch nahi saka ki usne jo kiya, bola usme kya bhala kya bura.

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