प्र020, "नियमित योग आसनों के द्वारा अनेक बीमारियों की रोकथाम होती है।" तर्कसगंत
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श्वास कार्य में सुधार हेतु
सभी योग विधियों और व्यायामों में श्वास की महत्वपूर्ण भूमिका है। परीक्षणों से स्पष्ट हुआ है कि अधिकांश व्यक्ति फेफड़ों की पूरी सामर्थ्य शक्ति का उपयोग किये बिना ही बहुत अधिक उथली सांस लेते हैं। इसके कारण शरीर को पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन की आपूर्ति नहीं हो पाती है। चयापचयन कार्य कम हो जाता है और इसके परिणामस्वरूप शारीरिक स्वास्थ्य बहुत खराब हो जाता है।
विशिष्ट शारीरिक व्यायामों, विश्राम और श्वास विधियों के माध्यम से, श्वास प्रक्रिया अधिक सचेत और एक प्राकृतिक रूप से गहरी हो जाती है। नियमित अभ्यास से हम धीरे-धीरे घटिया श्वास लेने-छोडऩे की आदतों को दूर करना और उनके स्थान पर गहरी, तनावहीन श्वास लेने-छोडऩे की पद्धति अपनाना सीख जाते हैं। इससे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य लाभ प्राप्ति के अतिरिक्त शरीर की रोग निरोधक प्रणाली और शक्तिवर्धन में भी स्पष्ट सुधार दिखाई देता है।
हमारी श्वास प्रक्रिया का केवल शारीरिक स्वास्थ्य पर ही प्रभाव नहीं होता है, अपितु हमारी भावनात्मक और मानसिक व्यवस्था भी इससे प्रभावित होती है। तनाव और चिन्ता के कारण हम तेजी से और उथले श्वास लेते हैं। जब हम तनावहीन या आराम में होते हैं तब श्वास धीमी और गहरी होती है। दबावपूर्ण स्थितियों में, हम सचेत, गहन श्वसन द्वारा आन्तरिक संतुलन पुन: प्राप्त कर सकते हैं। हम सीख सकते हैं कि रोजाना के तनाव और व्यावसायिक जीवन का आत्मसंयम और शान्ति के साथ किस प्रकार समाधान कर सकते हैं। इस प्रकार हम अपने शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर एक सकारात्मक प्रभाव उत्पन्न कर सकते हैं।
"दैनिक जीवन में योग" की व्यायाम शृंखला स्वस्थ श्वसन प्राप्त करने में हर किसी की सहायता करती है और दमा या पुरानी खांसी जैसे श्वास संबधी रोगों से ग्रस्त व्यक्ति भी इन अभ्यासों की सहायता से काफी आराम प्राप्त कर सकते हैं।
दमा का मनोवैज्ञानिक अंश इस बीमारी में एक विशेष महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। आराम और श्वास व्यायाम से जीवन पद्धति में परिवर्तन के साथ इस कष्ट का निश्चित निवारण प्राप्त कर सकते हैं या कम से कम श्वास प्रक्रिया में काफी सुधार अवश्य कर सकते हैं।
hope it will help you dear ❣️
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