प्र021
“मनुष्य का जीवन बहुत संघर्षमय होता है। उसे पग. पग पर कठिनाइयों का
सामना करना पड़ता है। फिर भी ईश्वर द्वारा जो मनुष्य रूपी वरदान इस पृथ्वी पर हुआ
है, मानों धरती का रूप ही बदल गया है। यह संसार कर्म करने वाले मनुष्यों के आधार
पर टिका हुआ है। देवता भी उनसे ईर्ष्या करने है। मनुष्य का जीवन कर्म.बल के कारण
श्रेष्ठ है। धन्य है मनुष्य का जीवन।'
प्र(1) गद्यांश का उचित शीर्षक लिखिए ?
प्र(1) मनुष्य किस कारण श्रेष्ठ माना गया है ?
प्र(3) यह संसार किस आधार पर टिका है ?
प्र(4) देवता किससे ईर्ष्या करते है ?
प्र(5) इस पृथ्वी पर ईश्वर प्रदत्त वरदान क्या है ?
में नितंश लिखिये
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(1) Dhanya Hai manushya ka Jivan (3) yah Sansar Karm Karne Wale manushya ke Aadhar par Tika Hua Hai (4 )Karm Karne Wale manushya se Devta eirsha Karte Hain (5)manushya ka Jivan bahut Sangharsh Mein Hota use pang pang ka Samna karna padta hai Fir Bhi Ishwar dwara Jo manushya Rupi Badan is verdan per Hua Hai
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