प्र022 साझेदारी सलेख से आप क्या समझते है? समझाईये।
Answers
दो दोस्त साँझेदारी में व्यापार करने का निर्णय करते हैं। वे सोचते हैं कि कुछ बातें स्वाभाविक होंगी - जैसे
दोनों बराबर पैसा निवेश करेंगे
दोनों बराबर समय देंगे
दोनों मुनाफ़े घाटे में बराबर हिस्सेदार होंगे।
लेकिन वे कोई लिखा पढ़ी नहीं करते। एक उदाहरण लें
1.दोनों ये बात करते हैं कि दस लाख से काम शुरू करेंगे।
2.दुकान किराए पर लेते हैं जिसका अग्रिम एक लाख रुपए है। दुकान में फ़र्निशिंग पचास हज़ार की होती है। आरम्भ में पाँच लाख का माल डालते हैं। A चार लाख ख़र्च कर देता है B अढ़ाई लाख ख़र्च करता है। शेष बाद में समय समय पर ख़र्च अपने हिस्से के अनुसार ख़र्च होना साभाविक मानते हैं।
3.बाद में तीन लाख का ख़र्च आता है। A को एक लाख ही ख़र्च करने हैं लेकिन B कहता है अभी पचास हज़ार मेरी ओर से ख़र्च कर दो।
4.कुछ सनाय बाद B अपना हिस्सा पूरा कर देता है।
5.दुकान चल पड़ती है। पहले एक लाख का मुनाफ़ा होता है। B के बच्चे की फ़ीस भरनी है वह साठ हज़ार ले जाता है। अगले माह भी वह मुनाफ़े का आधा ले जाता है। B के ख़र्च आते रहते हैं वह अपने हिस्से से अधिक ले जाता रहता है। अपने व्यक्तिगत कामों में व्यस्त वह दुकान पर बहुत कम समय देता है।
6.और माल डालने के लिए चार लाख चाहिए B एक लाख ही देता है उसकी एक लाख की कमी A पूरी करता है। उसे ये संतोष है कि खाते में सब लिखा है। धीरे धीरे A का निवेश बढ़ता जाता है और B पीछे रह जाता है। खाते में उसका हिस्सा कम दिखाई पड़ता है। A को कष्ट होता है पर वह कुछ कर नहीं पाता। B समय भी कम देता है।
ऐसी स्थिति के लिए साँझेदारी संलेख ज़रूरी है। ये प्रावधान डाला जा सकता है कि देरी से निवेश के लिए ब्याज देना होगा। ये भी लिखा जा सकता है कि निवेश में अनावश्यक देरी होने पर उस साँझेदार का हिस्सा कम हो जाएगा।
कुल मिला कर साँझेदारी संलेख ऐसी आकस्मिक अनदेखी परिस्थितियों में काम आता है
धन्यवाद
This is ur right answer.
Answer:
दो दोस्त साँझेदारी में व्यापार करने का निर्णय करते हैं। वे सोचते हैं कि कुछ बातें स्वाभाविक होंगी - जैसे
दोनों बराबर पैसा निवेश करेंगे
दोनों बराबर समय देंगे
दोनों मुनाफ़े घाटे में बराबर हिस्सेदार होंगे।
लेकिन वे कोई लिखा पढ़ी नहीं करते। एक उदाहरण लें
1.दोनों ये बात करते हैं कि दस लाख से काम शुरू करेंगे।
2.दुकान किराए पर लेते हैं जिसका अग्रिम एक लाख रुपए है। दुकान में फ़र्निशिंग पचास हज़ार की होती है। आरम्भ में पाँच लाख का माल डालते हैं। A चार लाख ख़र्च कर देता है B अढ़ाई लाख ख़र्च करता है। शेष बाद में समय समय पर ख़र्च अपने हिस्से के अनुसार ख़र्च होना साभाविक मानते हैं।
3.बाद में तीन लाख का ख़र्च आता है। A को एक लाख ही ख़र्च करने हैं लेकिन B कहता है अभी पचास हज़ार मेरी ओर से ख़र्च कर दो।
4.कुछ सनाय बाद B अपना हिस्सा पूरा कर देता है।
5.दुकान चल पड़ती है। पहले एक लाख का मुनाफ़ा होता है। B के बच्चे की फ़ीस भरनी है वह साठ हज़ार ले जाता है। अगले माह भी वह मुनाफ़े का आधा ले जाता है। B के ख़र्च आते रहते हैं वह अपने हिस्से से अधिक ले जाता रहता है। अपने व्यक्तिगत कामों में व्यस्त वह दुकान पर बहुत कम समय देता है।
6.और माल डालने के लिए चार लाख चाहिए B एक लाख ही देता है उसकी एक लाख की कमी A पूरी करता है। उसे ये संतोष है कि खाते में सब लिखा है। धीरे धीरे A का निवेश बढ़ता जाता है और B पीछे रह जाता है। खाते में उसका हिस्सा कम दिखाई पड़ता है। A को कष्ट होता है पर वह कुछ कर नहीं पाता। B समय भी कम देता है।
ऐसी स्थिति के लिए साँझेदारी संलेख ज़रूरी है। ये प्रावधान डाला जा सकता है कि देरी से निवेश के लिए ब्याज देना होगा। ये भी लिखा जा सकता है कि निवेश में अनावश्यक देरी होने पर उस साँझेदार का हिस्सा कम हो जाएगा।
कुल मिला कर साँझेदारी संलेख ऐसी आकस्मिक अनदेखी परिस्थितियों में काम आता है
धन्यवाद
Explanation:
Hope this answer will help you. ✌️