प्र023- निम्नलिखित अपिठत पद्यांश को ध्यानपूर्वक पढकर दिए गए प्रश्नों के उत्तर
लिखिए।
चाह नहीं, मै सुरबाला के गहनों में गूथा जाऊँ
चाह नहीं, सम्राटों के शवप र हे हरि! डाला जाऊँ
चाह नहीं, देवों के सिर पर
चहूँ भाग्य पर इठलाऊँ
मुझे तोड लेना बनमाली
उस पथ पर तुम दोनों फेंक
मातृभुमि पर शीश चढाने
जिस पथ पर जाए वीर अनेक।
उपर्युक्त काव्यांश का उचित शीर्षक लिखिए।
रेखांकित शब्द 'इठलाऊँ का अर्थ बताइए।
उपर्युक्त काव्यांश की मूल संवेदना लिखिए।
इसमें कभी बता रहे हैं कि मैं मैं सुरबाला के मालाओं में नहीं भूखा रहना चाहता ना ही मैं मरे हुए सम्राट के ऊपर डलवाना चाहता हूं नहीं मैं भगवान के सिर पर डलवाना चाहता हूं मुझे तो वनमाली तोड़कर उस जगह पर भी ना जहां पर वीर सैनिक लड़ाई करने जाए
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इसमें फूल की अभियान क फरगथमगथगक्षगथडक्षडक्षडयडरढडमथढढँड
फलवबँडव
लफदडरडर
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