प्र03 निम्नलिखित गद्यांश के नीचे दिये गये प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
प्रेम की भाषा शब्द रहित है। नेत्रों की, कपोलों की मस्तक की भाषा शब्द रहि
है। जीवन का तत्व भी शब्दों से परे है। सच्चा आचरण-प्रभाव, शील, अच
स्थित संयुक्त आचरण-न तो साहित्य के लंबे व्याख्यानों से गठा जा सक
है, न वेद की श्रुतियों के मीठे उपदेश से, न कुरान से, न धर्मचर्य से, न केव
सत्संग से, जीवन के अरण्य में धंसे हुए पुरुष के हृदय पर प्रकृति और मनु
के जीवन के मौन व्याख्यानों के यत्न से सुनार के छोटे हथौड़े की मंद-
चोटों की तरह आचरण का रूप प्रत्यक्ष होता है।
(क) प्रस्तुत गद्यांश के पाठ एवं लेखक का नाम लिखिए।
(ख) रेखांकित अंश की व्याख्या कीजिए।
(ग) जीवन का तत्व किससे परे है?
(घ) सच्चा आचरण किससे युक्त होता है?
(ङ) आचरण का रूप कैसे प्रत्यक्ष होता है?
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.............. ......
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